स्वास्थ्य विभाग की नियुक्तियों में धांधली सोमवार बलरामपुर अस्पताल में सामने आई। वार्ड ब्वाय पद के लिए फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर नौकरी करने आये एक युवक को कर्मचारियों ने पकड़ लिया। बाद में नौकरी दिलाने वाले गिरोह का एक सदस्य महानगर में पकड़ा गया। पुलिस गिरोह के सरगना की तलाश में जुटी है। सीतापुर के कमलापुर निवासी रामचंद्र यादव वार्डब्वाय पद के लिए नियुक्त पत्र लेकर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष दुबे के पास पहुंचा। नियुक्ति पत्र पर बलरामपुर अस्पताल के सीएमओ की मुहर लगी थी जबकि वहां स्वास्थ्य विभाग के निदेशक की मुहर व हस्ताक्षर होने चाहिए थे। इसके अलावा नियुक्ति पत्र में उसकी नियुक्ति हड्डी रोग में वार्ड ब्वाय के पद पर तैनात होना लिखा था। छठे वेतन के अनुसार उसे आठ हजार रुपये दिया जाना भी अंकित था। यहीं से डॉ. दुबे को शक हुआ तो उन्होंने उसे पकड़ लिया और उसे अस्पताल के निदेशक शोभनाथ के पास ले गए। सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने रामचंद्र को गिरफ्तार कर पूछताछ की। उसने बताया कि सीतापुर सदर कोतवाली निवासी हिमांशु सिंह ने दो लाख रुपये लेकर उसे यह नियुक्ति पत्र दिया था। अस्पताल कर्मियों ने बताया कि उसके साथ दूसरा व्यक्ति भी था जो वहां से भाग गया। पुलिस ने पूछताछ शुरू की तो रामचंद्र के पास हिमांशु का मोबाइल फोन नम्बर मिल गया। यह भी सामने आया कि नौकरी मिलने के बाद रामचंद्र को उसे 20 हजार रुपये देने हैं। पुलिस ने रामचंद्र से हिमांशु को फोन कर बलरामपुर अस्पताल गेट के पास बुलवाया। पुलिस करीब ढाई घंटे तक इंतजार करती रही लेकिन वह नहीं आया। उसके बाद उसने महानगर में मिलने की बात कही। पुलिस रामचंद्र को लेकर महानगर स्थित एक पेट्रोल पम्प के पास पहुंची तो हिमांशु वहीं आ गया। वहां पहंुचते ही पुलिस ने उसे दबोच लिया। छानबीन हुई तो हिमांशु के पास दो मोबाइल फोन नम्बर मिले। उनमें से एक अनुराग त्रिपाठी नाम के शख्स का है। उसे फोन किया गया लेकिन उसने खुद को अनुराग बताने से इंकार कर दिया। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि गिरोह की जड़ें स्वास्थ्य विभाग में भीतर तक फैली हैं। अनुराग उसी कड़ी का एक हिस्सा है। हिमांशु के पिता भगवान सिंह एक सिक्योरिटी एजेंसी चलाते हैं(दैनिक जागरण,लखनऊ,16.11.2010)।
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