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16 नवंबर 2010

जापानी हिन्दी-उर्दू का लोकार्पण

इंडो जापान एसोसिएशन फॉर लिटरेचर एंड कल्चर द्वारा प्रकाशित पुस्तक "उर्दू शायरी का गुलदस्ताः जापानी हिन्दी उर्दू" का लोकार्पण जापान फाउंडेशन में संपन्ना हुआ। पुस्तक में जाने-माने उर्दू शायरों की ऩज़्में-ग़ज़लें शामिल हैं, जिनका जापानी में अनुवाद व जापानी में उर्दू उच्चारण के साथ हिंदी पाठकों के लिए देवनागरी में लिप्यांतरण भी मौजूद है । उर्दू, जापानी व हिंदी में एक साथ प्रकाशित इस अनूठी पुस्तक का सम्पादन डॉ.उनीता सच्चिदानंद, डॉ.जानकी प्रसाद शर्मा एवं योशियो ताकाकुरा ने किया है ।

आयोजन में मुख्य अतिथि के तौर पर आए प्रोफेसर सादिक ने अपने वक्तव्य में कहा कि ग़ज़लों का तीन भाषाओं में एक साथ त़र्ज़ुमा करना मुश्किल ही नहीं एक जोखिम भरा काम है, इसके लिए संपादकगण बधाई के पात्र हैं । जापानी दूतावास से आए कोजिरो उचियामा ने कहा कि यह प्रयोग भारत और जापान के अवाम को जो़ड़ने में कारगर सिद्ध होगा । जापान फाउंडेशन महानिदेशक नाव एंदो ने कहा कि उर्दू भाषा के प्रति उनका विशेष लगाव इसलिए भी है कि उन्होंने खुद अरबी भाषा पढ़ी है ।

प्रो. गंगा प्रसाद विमल और डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा ने अनुवाद की समस्याओं पर रोशनी डालते हुए कहा कि अनुवाद दो देशों के अवाम को जो़ड़ता है और पुस्तक में शामिल सभी ग़ज़लें, नज्में आज की उर्दू शाइरी के लेखन पर रोशनी डालती हैं। आयोजन का दूसरा सत्र मुशायरा था । मुशायरे की शुरुआत करते हुए अनवर पाशा ने इंडो जापान एसोसिएशन फॉर लिटरेचर एंड कल्चर की दो देशों को उर्दू द्वारा जो़ड़ने की इस कोशिश को सराहा और कहा कि उर्दू भाषा भारत की ही नहीं बल्कि संसार के तमाम मुल्कों की धरोहर है(नई दुनिया,दिल्ली,16.11.2010) ।

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