मध्यप्रदेश में वनों और उनके आसपास रहने वाली एक बड़ी आबादी ऐसी है जो पूरी तरह लघुवनोपज पर आधारित है। जाहिर है सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि वह इन लोगों के जीवन को बेहतर भविष्य से जोड़े। मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ ने इस दिशा में अल्प समय में ही दो महत्वपूर्ण पहल की। लघु वनोपज संघ के युवा अध्यक्ष और विधायक श्री विश्र्वास सारंग ने इस दिशा में पिछले दिनों अपने अथक प्रयासों से मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप तेंदूपत्ता व्यवसाय से जुड़े 33 लाख संग्राहकों को दो सौगातें दीं।
लघु वनोपज संघ के इतिहास में पहली बार बोनस राशि का वितरण जल्दी हुआ और दीपावली के पहले हुआ। इस एक पहल ने संग्राहक परिवारों में दीपावली के दिन एक नई खुशी और उत्साह का संचार किया। पर विराम यहां नहीं था। लक्ष्य है कि हर तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार का आर्थिक उन्नयन हो और उनके बच्चों का भविष्य बेहतर हो। दूसरी सौगात इसी से जुड़ी है संग्राहक परिवारों में बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक मद्द देना। एकलव्य शिक्षा विकास योजना इसी उद्देश्य से प्रारंभ की जा रही है।
लघु वनोपज संघ को हाल ही के वर्षो में एक नई सोच और दृष्टि विश्र्वास सारंग के नेतृत्व में प्राप्त हुई है। यह सोच लघु वनोपज को समृद्ध करना व इसके जरएि इससे जुड़े लोगों के जीवन में खुशहाली लाना। तेंदूपत्ता संग्राहकों के पारिश्रमिक में वृद्धि, समय पर उन्हें उनकी मेहनत का वाजिब हक दिलाने के बाद पहली बार लघु वनोपज संघ ने संग्राहकों के सामाजिक जीवन में प्रवेश कर उनके परिवारों के बेहतर भविष्य बनाने की पहल की। एकलव्य शिक्षा विकास योजना दरअसल सामाजिक सरोकार से जुड़ी एक ऐसी शिक्षा योजना है जो आने वाले दिनों में संग्राहक परिवारों की तस्वीर ही बदल देगी। यह तस्वीर होगी समर्थ और समृद्ध होने की।
एकलव्य शिक्षा विकास योजना के शुभारंभ की जब बात हुई तो उसकी भी शुरूआत को सिर्फ औपचारिक नहीं रखा गया। इसके पीछे भी गहरी सोच के साथ एक ऐसे व्यक्ति का चयन किया गया जिसे अपने देश के बच्चों और इस देश के भविष्य की गहरी चिंता है। ये हैं हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अबुल कलाम। दरअसल यह वह व्यक्तित्व हैं जो अपने देश के बच्चों विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में ही इस देश का बेहतर भविष्य को देखते हैं और उसे इस तरह गढ़ना चाहते हैं जिससे वह अपनी शिक्षा दीक्षा के साथ इस देश का नवनिर्माण कर सकें। वनोपज संघ की कल्याणकारी योजनाओं की श्रृंखला में एक नई कड़ी के रूप में एकलव्य वनवासी शिक्षा विकास योजना प्रारम्भ की जा रही है। इस योजना को प्रारम्भ करने का उद्देश्य वन क्षेत्रों में निवास करने वाले तेंदूपत्ता संग्राहकों के बच्चों की शिक्षा की ऐसी व्यवस्था करना है जिससे तेन्दूपत्ता संग्राहकों के होनहार बच्चे धनाभाव के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित न रह जाएं। इस योजना का लाभ प्रदेश के तेन्दूपत्ता संग्राहकों, फड़मुशियों एवं प्राथमिक वनोपज समितियों के प्रबन्धकों के बच्चों को प्राप्त हो सकेगा। संग्राहक के लिए यह आवश्यक है कि इन पाँच वर्षो में कम से कम 3 वर्षो में प्रत्येक वर्ष उसके द्वारा न्यूनतम एक मानक बोरा का संग्रहण किया गया हो। फड़ मुंशी एवं समिति प्रबंधक द्वारा कम से कम 3 वर्षो में तेन्दूपत्ता सीजन में कार्य किया गया हो।
इस योजना के अन्तर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हीं बच्चों पर विचार किया जायेगा जिन्होनें पिछले शिक्षा सत्र में कम से कम 60 प्रतिशत अंक अथवा समकक्ष ग्रेड अर्जित किया हो। इस योजना में कक्षा 9 से 12 तक एवं स्नातक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों को प्रावीण्य सूची के आधार पर शामिल किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत चयनित छात्र-छात्राओं को शिक्षण शुल्क, पाठ्यक्रम के लिए निर्धारित पुस्तकें के क्रय में होने वाले व्यय, छात्रावास में ठहरने एवं भोजन पर व्यय तथा वर्ष में एक बार अपने घर जाने एवं वापस शिक्षण स्थल तक आने के लिए निकटतम मार्ग से रेल में स्लीपर क्लास अथवा साधारण श्रेणी का बस किराये पर यात्रा व्यय मिलने की पात्रता होगी। सहायता की वार्षिक सीमा - कक्षा 9वीं एवं 12वीं के छात्रों को- बारह हजार रुपए कक्षा 11वीं एवं 12वीं के छात्रों को- पंद्रह हजार रुपए गैर तकनीकी स्नातक छात्रों को- बीस हजार रुपए व्यावसायिक कोर्स के छात्रों को- पचास हजार रुपए चयनित छात्र-छात्राओं को केंद्रीय या राज्य शासन अथवा किसी भी अन्य संस्थान से अन्य योजना के अंतर्गत कोई छात्रवृत्ति अथवा सहायता प्राप्त हो रही है तो इस योजना के अंतर्गत दी जाने वाली सहायता में उसे प्राप्त हो रही राशि की सीमा तक कमी की जा सकती है।
योजना के अंतर्गत चयनित छात्र-छात्राओं को निरंतर न्यूनतम 60 प्रतिशत अथवा समकक्ष ग्रेड प्राप्त करना होगा। यदि किसी अप्रत्याशित परिस्थितिवश किसी चयनित छात्र-छात्रा का प्रदर्शन उससे नीचे जाता है तो उसके द्वारा आवेदन प्रस्तुत करने पर तथा उसके कारणों पर विचार करने के उपरांत उसे अपने प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए अधिकतम एक अवसर प्रदान किया जा सकेगा। इस योजना के अंतर्गत सहायता नवीं कक्षा या उसके बाद के कक्षाओं में अध्ययन हेतु तब तक दी जाएगी जब तक कि संबंधित छात्र-छात्रा का प्रदर्शन निर्धारित न्यूनतम स्तर के ऊपर का रहता है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष संघ के संचालक मंडल द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता के लिए बजट की राशि निर्धारित की जाएगी। इस स्वीकृत बजट राशि के अंतर्गत श्रेष्ठता क्रम में चयनित छात्र-छात्राओं को इस योजना का लाभ मिल सकेगा।
इस योजना के अंतर्गत किसी वर्ष के लिए उपलब्ध बजट की 50 प्रतिशत राशि कक्षा नवीं से बारहवीं तक की कक्षा के लिए तथा शेष 50 प्रतिशत राशि स्नातक स्तर की शिक्षा के लिए व्यय हेतु उपलब्ध हो सकेगी। इस योजना के अंतर्गत प्रवीणता के आधार पर छात्र-छात्राओं के चयन हेतु सूची राज्य सतर पर लघु वनोपज संघ द्वारा तैयार की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के उन वर्गो की सबसे ज्यादा चिंता की है जो सदियों से पिछड़े हैं। उनके कल्याण और सर्वागीण विकास के लिए उन्होंने शासन स्तर पर पिछले पांच सालों में काम किया है। इसके परिणाम भी दिखने लगे हैं(दैनिक जागरण,भोपाल,16.11.2010)।
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