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16 नवंबर 2010

मध्यप्रदेशःबीडीएस के लिए भी मिलेगा लोन

बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी बीडीएस पाठ्यक्रम के लिए भी अब छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा ऋण दिया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीडीएस को भी उच्च शिक्षा ऋण योजना में शामिल करने के निर्देश दिए हैं। श्री चौहान सोमवार को यहां मंत्रालय में इस योजना की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और चिकित्सा शिक्षा विभाग में योजना से संबंधित टोल फ्री नम्बर के फोन नहीं उठाने की शिकायतों को गंभीरता से लिया। साथ ही जांच कर संबंधित के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिए। प्रदेश के अधिकतम छात्र-छात्राओं को इसका लाभ देने के उद्देश्य से उन्होंने योजना के पर्याप्त प्रचार-प्रसार की जरूरत बताई। श्री चौहान ने कहा कि उच्च, तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा संस्थानों के साथ ही उच्चतर माध्यमिक शालाओं में भी इसका प्रचार किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहाकि विशेष रूप से छात्रों को यह बताया जाए कि चार लाख से कम राशि का शिक्षा ऋण लेने के लिए बैंक में किसी भी प्रकार की गारंटी देने की जरूरत नहीं है। श्री चौहान ने राच्य और जिला स्तरीय बैंकर्स समन्वय समिति की बैठकों में भी रिजर्व बैंक के इस प्रावधान के पालन करने का मुद्दा उठाने का निर्देश दिया। वहीं चार लाख से कम राशि के शिक्षा ऋण के आवेदन बैंकों द्वारा नहीं लिये जाने का मुद्दा बैंकों के शीर्ष प्रबंधन की जानकारी में लाया जाए।(दैनिक जागरण,भोपाल,16.11.2010)।

इसी विषय पर दैनिक जागरण का संपादकीय भी देखिएः
भले ही विपक्ष के अपने राजनीतिक पूर्वाग्रह उसे यह स्वीकार करने की अनुमति न दें लेकिन अधिकांश विपक्षी नेता भी मन ही मन यह स्वीकार करेंगे कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह लोगों को लुभाने की कला में माहिर हैं। यदि राज्य में पुन: भाजपा की सरकार सत्तारूढ़ हुई है तो इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह लोगों को यह भरोसा दिलाने में सफल रहे हैं कि उनके कार्यक्रम एवं नीतियां जनकल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं। उनकी इस सफलता की सबसे बड़ी वजह यह है कि वे हर वर्ग के लोगों को आए दिन कुछ न कुछ आश्वासनों तथा लुभावनी घोषणाओं की सौगात देते रहते हैं। इन सौगातों का मोहपाश निश्चित ही लोगों को आकर्षित करने में सक्षम होता है। लाड़ली लक्ष्मी योजना, कन्यादान योजना जलाभिषेक योजना सहित ऐसी तमाम योजनाएं हैं जिनके कारण सरकारी प्रचार तंत्र उन्हें पांव पांव वाले भैया तथा नन्हीं नन्हीं बच्चियों के मामा के रूप में प्रतिष्ठित कराने में सफल रहा है। उनकी लुभावनी योजनाओं की एक और बानगी है उच्च शिक्षा के लिए ऋण में सब्सिडी देने की घोषणा।

मुख्यमंत्री की यह घोषणा कमजोर आर्थिक स्थिति के बच्चों की उच्च शिक्षा प्राप्त करने की आकांक्षा को पूरा करने में महत्वूर्ण भूमिका अदा कर सकती है क्योंकि फिलहाल कालेजों में दाखिला लेने के इच्छुक छात्रों को शिक्षा ऋण पर जो ब्याज देना पड़ता है, वह आम परिस्थिति वाले परिवार के लिए संभव नहीं है। दरअसल बाल दिवस पर माडल स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में ही एक बच्ची ने यह सवाल पूछकर सरकारी नीति पर सवाल खड़ा कर दिया था कि आखिर उद्योगपतियों तथा किसानों को तीन प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण दिया जाता है तो फिर छात्रों की शिक्षा के लिए दिये जाने वाले ऋण पर साढ़े ग्यारह प्रतिशत ब्याज क्यों लिया जाता है। बच्ची के इस सवाल ने मुख्यमंत्री को को झकझोर दिया और इस महत्वपूर्ण घोषणा के लिए भूमिका तैयार कर दी।
मुख्यमंत्री ने भी वक्त के तकाजे के अनुरूप बच्ची के सवाल का औचित्य महसूस करते हुए बिना किसी हिचक के शिक्षा ऋण में सब्सिडी देने का ऐलान कर अपनी सहृदयता का परिचय दिया। लेकिन सिर्फ इससे ही छात्र छात्राओं की तकलीफ दूर होने वाली नहीं है। सरकार भले ही इस बात से वाकिफ न हो लेकिन हकीकत यह है कि शिक्षा ऋण प्राप्त करने में विद्यार्थियों को काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। वैसे सरकार ने यह घोषणा कर रखी है कि शिक्षा ऋण की गारंटी खुद सरकार लेगी लेकिन शिक्षा ऋण के लिए बैंक विद्यार्थियों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखते हैं और इसी वजह से गरीब बच्चों को शिक्षा ऋण देने में आनाकानी करते हैं। इससे गरीब बच्चों को उच्चशिक्षा उपलब्ध कराने की सरकार की योजना का उद्देश्य ही पराजित हो जाता है। सरकार को चाहिए कि वह बैंक की मनमानी पर अंकुश लगाए ताकि इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ सभी वर्गो के बच्चों को मिल सके।

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