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14 नवंबर 2010

बिहारःदसवीं की परीक्षा पर असमंजस

सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेंडरी एजुकेशन(सीबीएसई) की ग्रेडिंग की व्यवस्था लागू करने की तत्परता के कारण दसवीं की परीक्षा पर असमंजस के बादल छाने लगे हैं। बोर्ड लगातार यह संकेत दे रहा है कि अगर दसवीं के छात्र-छात्राओं ने नयी ग्रेडिंग प्रणाली के बदले परीक्षा देने का निर्णय लिया तो ग्यारहवीं में उनका नामांकन मुश्किल है। सीबीएसई के इस रवैये ने यह साफ कर दिया है कि दसवीं के छात्र-छात्राओं को परीक्षा या ग्रेडिंग में से किसी एक का चयन बहुत सोच समझ कर करना होगा। अकेले राजधानी पटना में सीबीएसई से सम्बद्ध सौ से अधिक स्कूल हैं, जबकि पूरे राज्य में इनकी संख्या करीब छह सौ से अधिक है। वैसे तो ग्रेडिंग प्रणाली को ऐच्छिक बताते हुए विद्यार्थियों से उनकी पसंद लिखित रूप में पूछी जा रही है, परन्तु इस नयी प्रणाली को लेकर बोर्ड के रवैये ने मामले को उलझा दिया है। नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ अभिभावकों ने बताया कि ग्रेडिंग के लिए बोर्ड कन्टिनुअस एंड कम्पि्रहेंसिव इवैलुएशन(सीसीई) यानी अनवरत एवं समेकित मूल्यांकन की व्यवस्था लागू करेगा। नतीजे में विद्यार्थी के मूल्यांकन का अधिकार स्कूल को ही मिल जाएगा। यह संभावना हमेशा रहती है कि दसवीं में बेहतर नंबर लाने के बाद विद्यार्थी किसी दूसरे अच्छे स्कूल में नहीं चले जाएं। ऐसे में उनकी ग्रेडिंग एक सीमा तक ही की जा सकती है। ग्रेडिंग प्रणाली को शिक्षा की गुणवत्ता के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए इन्होंने कहा कि कुछ स्कूलों में तो एकाध अपवाद को छोड़ कर शत-प्रतिशत विद्यार्थियों ने परीक्षा की पुरानी प्रणाली का आप्शन दिया है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल जिस अमेरिकी व्यवस्था को अपने देश में लागू कर रहे हैं, उसे स्वयं अमेरिका में नकारा जा रहा है। वहां फिर से अधिकांश स्कूलों में परीक्षा की व्यवस्था लागू की जा रही है। परीक्षा में कैलकुलेटर के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है(दैनिक जागरण,पटना,14.11.2010)।

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