ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए वीजा हासिल करने की चाह रखने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले इस साल तेज गिरावट आई है। जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि ब्रिटेन में वीजा नियमों की समीक्षा को लेकर चल रहे मौजूदा प्रावधानों के कारण वीजा पाने की प्रक्रिया काफी कठिन हो गई है। साल 2009 में पढ़ाई के लिए ब्रिटेन भारतीय छात्रों के सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन में शुमार था और यहां रिकॉर्ड 57,000 टियर-4 स्टूडेंट वीजा जारी किए गए। इस साल अक्टूबर तक स्टूडेंट्स के लिए केवल 33,000 वीजा जारी किए गए हैं जबकि ब्रिटेन की ज्यादातर यूनिवर्सिटी में नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है।
जानकारों का कहना है कि साल 2010 में स्टूडेंट वीजा की संख्या में नाटकीय रूप से बदलाव आया है। ब्रिटेन में टियर-4 वीजा उन छात्रों का जारी किया जाता है, जो यहां के इंडिपेंडेंट फीस पेइंग स्कूल में पढ़ाई करने के लिए आते हैं। स्टूडेंट्स वीजा की संख्या में गिरावट आने की बड़ी वजह साल 2010 में उत्तरीभारत में यूके बार्डर एजेंसी द्वारा स्टूडेंट्स वीजा एप्लिकेशन पर लगाया जाने वाला अस्थायी सस्पेंशन है। इसके अलावा टियर-4 स्टूडेंट वीजा के रिव्यू के कारण वीजा संख्या में और ज्यादा गिरावट आई।यूके हाई कमिश्नर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्टूडेंट्स वीजा संख्या में आई इस गिरावट की पुष्टि की। उन्होंने बताया, 'रिव्यू का सबसे बड़ा मकसद शैक्षणिक संस्थानों के पढ़ाई के स्तर पर सुनिश्चित करना और ऐसे लोगों को वीजा की होड़ से बाहर करना है, जो इसका गलत इस्तेमाल करते हैं।' इमिग्रेशन से जुड़े मुद्दों पर सलाह देने के लिए पिछली सरकार द्वारा बनाई गई स्वतंत्र संस्था यूके माइग्रेशन एडवाइजरी कमेटी पहले ही डेविड कैमरन सरकार की माइग्रेशन नंबर और स्टूडेंट्स वीजा नंबर में कटौती की मंशा को साफ कर चुकी है।
लंदन स्थित इमिग्रेशन वकील मारिया फर्नांडीस वाज ने बताया, 'वीजा नियमों को पहले की तुलना में काफी सख्त कर दिया गया है। ब्रिटेन में पढ़ाई की चाह रखने वाले आवेदक छात्र के खाते में मोटी रकम (न्यूनतम 8,000 पौंड और फीस) होनी चाहिए। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए काम करने के नियम भी काफी कठोर हुए हैं। इसके अलावा कमेटी उन कॉलेजों पर भी निगरानी बनाए हुए है, जहां छात्रों की संख्या में गिरावट आई है।' पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर हुए नस्ली हमलों और अमेरिका में आथिर्क मंदी के कारण ब्रिटिश यूनिवसिर्टी के साथ बड़ी संख्या में भारतीय छात्र जुड़े थे। न्यूयॉर्क स्थित ग्लोबल हायर एजुकेशन स्पेशलिस्ट राहुल चौदाहा ने बताया, 'ब्रिटेन अपने हाथ से बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों को खो देगा। भले ही इन छात्रों के पास सीमित वित्तीय साधन हो, लेकिन इनमें बेहतरीन एकेडमिक क्षमताएं हैं।(इशानी दत्ता गुप्ता,इकनॉमिक टाइम्स,दिल्ली,24.11.2010)'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।