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29 नवंबर 2010

नई भर्तियों पर गोदरेज का खास ध्यान

गोदरेज भारत के सबसे विश्वसनीय ब्रांडों में शामिल है, लेकिन पिछले दिनों इसे एक अलग तरह की समस्या से जूझना पड़ा। कंपनी को महसूस हुआ कि देश के प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूलों से निकलने वाली नई पीढ़ी के एमबीए छात्र प्लेसमेंट के दौरान उनकी कंपनी में कम रुचि लेते हैं। गोदरेज ने इस इमेज को बदलने का फैसला किया। इसके तहत कंपनी ने मैनेजमेंट संस्थानों के छात्रों को अपने कारोबार के बारे में विस्तार से बताया।

कंपनी ने छात्रों को कारोबार की समस्याएं और रिटर्न के बारे में जानकारी दी। साथ ही उन छात्रों से सुझाव और आइडिया लेने की कोशिश भी की। कंपनी यह काम पिछले एक साल से कर रही है। गोदरेज ग्रुप की फ्लैगशिप एफएमसीजी कंपनी गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट ने छात्रों से मिले पांच आइडिया पर काम शुरू कर दिया है। कंपनी को इसमें अच्छी सफलता भी मिली है।

हालांकि, वह अभी इन आइडिया के बारे में ज्यादा नहीं बताना चाहती है, लेकिन इसने मच्छर मारने वाले प्रोडक्ट गुड नाइट की कीमत और प्रोडक्ट डिजाइन पर चल रही उहापोह को छात्रों की मदद से हल किया है। गोदरेज कंज्यूमर के वाइस प्रेसिडेंट (एचआर) राहुल गामा ने बताया, 'युवा छात्रों से हमें कई रोचक आइडिया मिले।'


इससे उत्साहित कंपनी ने 17 नए एमबीए कर्मचारियों को एक महीने के लिए चीन भी भेजा है। कंपनी इन कर्मचारियों को कारोबार के बारे में बेहतर समझ विकसित करने का मौका देना चाहती है। अधिक से अधिक भारतीय कंपनियां बी स्कूलों और इंजीनियरिंग संस्थानों के छात्रों को जोड़ने की कोशिश कर रही हैं। ये कंपनियां इस तरह से नए आइडिया हासिल कर रही हैं। मैक्स इंडिया के ग्रुप डायरेक्टर (मानव संसाधन) पी द्वारकानाथ का कहना है कि यह छात्रों, युवा कॉरपोरेट और उनके बॉस, सभी के लिए बेहतर है। 

वह कहते हैं, 'छात्र पश्चिमी मुल्कों के कॉरपोरेट प्रैक्टिस के बारे में जानते हैं। नए आइडिया से कंपनियों को कारोबारी स्तर पर काफी मदद मिलती है। बदले में उन छात्रों को कॉरपोरेट जगत की संस्कृति का फर्स्ट हैंड अनुभव मिलता है।' 

कंपनियां एमबीए छात्रों से संपर्क बढ़ाने के लिए वास्तविक समस्याओं पर आधारित केस स्टडी प्रतियोगिता या न्यू आइडिया जैसे प्रतियोगिता आयोजित करा रही हैं। फिर, कंपनियां इंटर्न और नए रिक्रूट हुए छात्रों से भी सुझाव लेती हैं। इन्हीं उद्देश्यों से डाबर ने 'नेविगेटर' नाम से कार्यक्रम शुरू किया है। इसके माध्यम से कंपनी आईआईएम, एक्सएलआरआई, आईआईएफटी और एसपी जैन जैसे संस्थानों के छात्रों के साथ जुड़ रही है। नेविगेटर को तीन साल पहले लॉन्च किया गया था। पहले चरण में कंपनी को 1,000 छात्रों से करीब 300 कारोबारी आइडिया हासिल हुए। 

कंपनी ने छात्रों से मिले कई आइडिया पर काफी काम किया। उसने अपने डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को बेहतर करने के लिए एनजीओ, आंगनबाड़ी का सहयोग लिया। कंपनी ने लगातार प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए विलय, अधिग्रहण और नए प्रोडक्ट पर काम करने के तरीके में बदलाव किया। 

नेविगेटर के दूसरे चरण पर काम करने वाले डाबर इंडिया के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट (एचआर) ए सुधाकर का कहना है, 'छात्रों से हमारा नॉलेज बेस लगातार बढ़ रहा है। शुरुआती सफलता के बाद हमें अपने इंटर्न से भी कुछ बेहतरीन आइडिया मिल रहे हैं।' आरपीजी ग्रुप के नियंत्रण वाली सिएट ने युवा प्रोफेशनल्स से आइडिया हासिल करने के लिए एडवायजरी मैनेजमेंट काउंसिल बनाई है। ये युवा प्रोफेशनल ग्रोथ और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर रणनीति बनाने के लिए टॉप मैनेजमेंट के साथ काम करेंगे। इसके पीछे कंपनी की संस्कृति और प्रैक्टिस को ज्यादा समकालीन बनाना है। 

पिछले महीने एक अग्रणी बिजनेस स्कूल एमडीआई गुड़गांव ने हरियाणा के पटौदी गांव में मार्केट रिसर्च फेस्टिवल का आयोजन किया। यहां पर टाटा और एयरटेल जैसी कंपनियों ने छात्रों से ग्रामीण उपभोक्ताओं के बारे इनपुट हासिल किए। एयरटेल ने इस अवसर का इस्तेमाल अपने डीटीएच सर्विस के लिए प्लेटफॉर्म के रूप में किया। मैक्स इंडिया भी कुछ इसी तरह के विकल्प पर काम कर रही है। 

कंपनी ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद के साथ औपचारिक गठजोड़ करने का फैसला किया है और कंपनी अब छात्रों से नए इनोवेशन संबंधी आइडिया हासिल करने का मन बना रही है। साथ ही यह हेल्थकेयर और बीमा सेक्टर से जुड़े कारोबार पर विशेषज्ञ स्कूलों के साथ जुड़ने का मन बना रही है(ऋतंकर मुखर्जी,इकनॉमिक टाइम्स,22.11.2010)

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