पिछले दो साल में राज्य की राजनीति में तृणमूल के बढ़े वर्चस्व और माकपा के घटते राजनीतिक प्रभाव से जहां कालेज कैम्पसों में हिंसा बढ़ी हैं वहीं रैगिंग, यौन उत्पीड़न व सेक्स अपराधों के मामले भी जब तब सामने लगे हैं। इसका स्पष्ट प्रमाण हाल में ही बर्दवान विश्वविद्यालय परिसर में जम कर हुई बमबाजी तथा सिलीगुड़ी पालिटेक्निक कालेज की 18 वर्षीय छात्रा की अश्लील तस्वीर तैयार किये जाने की घटना है। अपनी अश्लील तस्वीरों को प्रसारित किये जाने से क्षुब्ध होकर छात्रा द्वारा आत्महत्या करने की घटना राज्य के उच्चशिक्षा के माहौल के दूषित होने की ओर भी इशारा कर रहा है। कैम्पस में शैक्षिक माहौल को स्वच्छ व मर्यादित रखने को लेकर कुछ कालेजों ने छात्रों व शिक्षिकाओं के लिये शालीन ड्रेस कोड निर्धारित करने की कोशिश जब तब की लेकिन विवादों के कारण यह ठंडा पड़ गया।
पिछले दो साल में राज्य के विभिन्न कालेजों में छात्रसंघ चुनाव के अलावा दाखिले तथा परीक्षा संचालन को लेकर खूनी संर्घषों, हिंसक झड़पों और बाहरी तत्वों के प्रवेश की शिकायत और कक्षाओं का हफ्तों बंद रहना आम बात हुई है। प्रेसीडेंसी कालेज से लेकर बंगाल साइंस एंड इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी और मौलाना आजाद कालेज से लेकर बेहला कालेज हिंसा की चपेट में आये हैं। ंवर्षो से यहां प्रभाव जमाये हुए माकपा की छात्र इकाई एसएफआई को तृणमूल छात्र परिषद व कहीं कहीं कांग्रेस के छात्र संगठनों से सीधी टक्कर मिल रही है। पिछले दो सालों में राज्य के लगभग 400 कालेजों में से अधिकांश में कैम्पस हिंसा व झड़प के मामले बढ़े हैं। जानकारों के मुताबिक माकपा का गढ़ माने जाने वाले हुगली बर्दवान, व उत्तर 24 परगना के कालेजों में तृणमूल को पैठ बनाने में कामयाबी मिली है। जिसने संघर्ष को जन्म दिया है। आल बंगाल प्रिसिंपल काउंसिल ने हिंसा की बढ़ती प्रवृत्ति पर काबू पाने के लिये मुख्यमंत्री व उच्चशिक्षा मंत्री से हाल के दिनों में मुलाकात की है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा छात्र संघ चुनावों को नियंत्रित करने के लिये प्रस्तावित कानून काउंसिल की इन्हीं कोशिशों नतीजा है। प्रिसिंपल काउंसिल के के नतीजे के तौर पर देखा जा रहा है। सचिव प्रो.अंजन सेनगुप्ता के मुताबिक उच्च शिक्षा विभाग ने कालेज कैम्पस में पुलिस सुरक्षा के इंतजाम बढ़ाये हैं लेकिन दाखिले,छात्र संघ चुनाव तथा परीक्षा के दौरान टकराव की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। महानगर के प्रमुखख्आशुतोष कालेज के प्रिसिंपल डा.दीपक कुमार कर ने उम्मीद जतायी है कि नये कानून के लागू होने के बाद कैम्पस में हिसंक झड़पों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी साथ ही इसके जरिये बाहरी तत्वों के प्रवेश को भी रोका जा सकेगा। बेहला कालेज के प्रिसिंपल चेम्बर में पिछले साल हुई तोड़फोड़ की घटना के अलावा कस्बा के चारुचंद्र कालेज, श्रीशचंद्र कालेज,सरसुना कालेज,आशुतोष कालेज में हाल के दिनों में हुई हिंसा की वारदातों ने उच्च शिक्षा विभाग के माथे पर बल डाल दिया है। इसी महीने में जिले के कई कालेजों में छात्र संघ चुनाव होने हैं, इन्हें शांति पूर्वक सम्पन्न कराना स्थानीय प्रशासन के लिये किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। 60 और 70 के दशक में शिक्षा और चिकित्सा के लिये देश के अग्रणी राज्य माने जाते रहे पश्चिम बंगाल में इन्हीं का सर्वाधिक ह्रास हुआ है और इसका प्रमाण अखिल भारतीय स्तर की यूपीएससी, आईआईटी-जेईई, कैट सहित कई परीक्षाओं में बंगाल के फिसड्डी साबित होने से मिल रहा है(दैनिक जागरण,कोलकाता,9.11.2010)।
बहुत ही चिन्तनीय शर्मनाक स्थिती है।
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