दिल्ली सरकार अब अपने उन अफसरों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू करेगी, जिनका हाथ अंग्रेजी में बेहद तंग है।
दिलचस्प यह है कि इन अफसरों की अंग्रेजी की गलतियां सुधारने और उन्हें फाइलों की नोटिंग और ड्राफ्ट तैयार करना सिखाने के लिए सरकार की ओर से जो प्रोग्राम तय किया गया है, वह महज तीन घंटे का है। अंग्रेजी सिखाने के बारे में जो सर्कुलर जारी किया गया है, उसमें यह नहीं बताया गया कि किस श्रेणी के अफसरों के लिए यह प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है लेकिन यह सर्कुलर सभी विभाग प्रमुखों को भेजा गया है।
दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक यह सर्कुलर दिल्ली सरकार के ही ट्रेनिंग निदेशालय की ओर से जारी किया गया है और यह कार्यक्रम 8 नवंबर के लिए तय किया गया है। सूत्रों का कहना है कि यह साफ नहीं किया गया है कि यह ट्रेनिंग किस तरह से दी जाएगी और ऐसी क्या तकनीक अपनाई जाएगी कि महज तीन घंटे के ही कोर्स में अंग्रेजी की गलतियां करने वाले अफसरों को अंग्रेजी लिखने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
सरकार में विभिन्न स्तरों पर यह माना गया है कि दिल्ली सरकार में कई बार फाइलों की नोटिंग और ड्राफ्ट में इतनी गलतियां होती हैं कि उन्हें सुधारने की बजाय नए सिरे से लिखना होता है। चीफ सेक्रेटरी राकेश मेहता का भी कहना है कि ड्राफ्ट में कई बार तो लैंग्वेज की भी गलतियां होती हैं। उनका कहना है कि असल में सेक्रेटियट स्किल की कमी नजर आती है। दिल्ली सरकार के ही एक अन्य सीनियर अफसर का कहना है कि दरअसल, फाइलों की नोटिंग देखने से इसका पता चल जाता है, ज्यादातर फाइलों में ग्रामर की गलतियां होती हैं।
लेकिन इन अधिकारियों का कहना है कि अगर सरकार वाकई इस गंभीर है तो उसे ट्रेनिंग का पुख्ता इंतजाम करना चाहिए, न कि महज तीन घंटे का कोर्स ही इसके लिए पर्याप्त है। दिल्ली सरकार के अधिकारियों का कहना है कि फाइलों और ड्राफ्टिंग में गलतियां जिस स्तर पर होती हैं, उनकी पहचान की जानी चाहिए, न कि सभी विभागों को एक जैसा सर्कुलर भेजा जाना चाहिए। इन अधिकारियों का कहना है कि कायदे से तो विभाग प्रमुखों से ही पहले यह पूछा जाना चाहिए था कि उनके विभाग में ऐसे कितने लोग हैं, जिन्हें इस तरह की ट्रेनिंग की जरूरत है। उसके बाद उन लोगों को ट्रेनिंग दी जानी चाहिए थी लेकिन जिस तरह से सर्कुलर जारी कर दिया गया है, उससे इस प्रोग्राम की गंभीरता नजर नहीं आती(गुलशन राय खत्री,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,4.11.2010)।
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