झारखंड के इंजीनियरिंग कालेजों की सीटें जबरन भरवाई जा रही हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से निजी इंजीनियरिंग कालेजों को अपनी रिक्त सीटें भरने के लिए फिर से एडमिशन लेने की छूट दे दी गयी है। इस आदेश के बाद अब प्रबंधन 13 नवंबर तक छात्रों का एडमिशन ले सकते हैं। इससे पहले विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने 30 सितंबर तक नामांकन प्रक्रिया पूरी कर लेने का निर्देश दिया था। राज्य के निजी इंजीनियरिंग कालेजों में अब भी 900 से 1000 सीटें रिक्त हैं। सीटें नहीं भरने के कारण ही ये कालेज सरकार पर लगातार एडमिशन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का दवाब दे रहे हैं।
सितंबर में ही खत्म हो गयी थी सकेंड काउंसलिंग: राज्य के इंजीनियरिंग कालेजों की खास्ताहाल इंफ्रास्ट्रक्टचर के कारण ही छात्र यहां एडमिशन नहीं लेना चाहते। झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद की ओर से आयोजित प्रथम चरण की काउंसलिंग के बाद करीब 1594 सीटें खाली रह गयी। इन सीटों को भरने के लिए पर्षद की ओर से सकेंड काउंसलिंग आयोजित की गयी। छह सितंबर तक चले सकेंड सीटें भरने के लिए माइनस मार्कि ग वाले छात्र—छात्राओं को भी बुलाया गया।
हालांकि इसके बाद भी 1388 सीटें खाली रह गयी। तब विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से कालेज प्रबंधन को 30 सितंबर तक अपने स्तर से एआइइइइ और प्लस टू पास छात्र-छात्राओं को डायरेक्टर एडमिशन लेने का मौका दिया गया। इस आदेश के बाद निजी इंजीनियरिंग कालेजों की ओर से शहर में डायरेक्ट एडमिशन के बोर्ड लगाये गये। डायरेक्टर एडमिशन भी लिये गये, हालांकि तब भी करीब 1000 सीटें नहीं भरी। अब नवंबर में फिर से सीटें भरने के लिए एडमिशन लिया जा रहा है।
दूसरे प्रदेशों में अगस्त-सितंबर में स्टार्ट हो गया एकेडमिक: देश के दूसरे प्रदेशों में इंजीनियरिंग का एकेडमिक सेशन अगस्त-सितंबर में ही प्रारंभ हो जाता है। जबकि झारखंड में नवंबर मध्य तक एडमिशन ही लिया जा रहा है। इंजीनियरिंग कालेज प्रबंधन भी मानते हैं कि सेशन में लेट हो रहा है। हालांकि वे सीटें भरने को लेकर इच्छुक हैं।
भड़के निजी इंजीनियरिंग कालेज: निजी इंजीनियरिंग कालेज सरकार के उस आदेश से नाराज है, जिसमें कालेजों को फी वेभर स्कीम के तहत एडमिशन नहीं लेने को कहा गया है। निजी इंजीनियरिंग कालेजों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से गरीब और मेधावी छात्र प्रभावित होंगे। इस स्कीम के तहत इन छात्रों की फीस माफ अथवा कम की जाती है। यह एआइसीटीआइ के गाइडलाइन के अनुसार किया जाता है।इधर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का कहना है कि मेधावी छात्रों को ही इसका लाभ मिलता है, तो जेसीइएसइ बोर्ड से एडमिशन के लिए आने वाले छात्रों को इसका लाभ क्यों नहीं दिया गया।
हमलोगों ने समय से ही फर्स्ट और सेकेंड काउंसलिंग करा दिया। सभी 30 हजार रैंक के छात्र-छात्राओं को बुलाया गया। इसके बाद भी सीटें खाली रह गयी। छात्र एडमिशन नहीं लेना चाहते। अब एडमिशन के मामले में सरकार और कालेज प्रबंधन ही निर्णय ले सकते हैं। - आरके सिंह, ओएसडी, संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद
सीटें खाली रहने के कारण प्राइवेट कालेजों ने डिमांड किया था। इस कारण से दुबारा एडमिशन लेने की अनुमति दी गयी है। जहां तक सेशन स्टार्ट होने के बात है, तो अब एडमिशन लेने वाले छात्रों को थोड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। - डॉ अरुण कुमार, निदेशक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
संस्थान में कुछ ही सीटें रिक्त हैं। उसे भरा जा रहा है। वैसे सेशन स्टार्ट हो गया है। जिन छात्रों का अब एडमिशन होगा, उन्हें थोड़ा बिलंब सहना पड़ेगा। - डॉ बहादुर सिंह, सीआइटी टाटीसिलवे(पवन कुमार,दैनिक भास्कर,रांची,8.11.2010)
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