हरियाणा शिक्षा विभाग ने शिक्षा का अधिकार, 2009 के तहत अध्यापकों के लिए आचार संहिता निर्धारित करते हुए अध्यापक मूल्यांकन प्रणाली शुरू करने के लिए प्रारूप तैयार किया है। स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक विजेंद्र कुमार ने बताया कि इस मूल्यांकन प्रणाली का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अध्यापक अपने अध्यापन में सुधार लाएं और अध्यापक एक स्कूल टीम प्लेयर के रूप में उभरें। अध्यापक सभी के लिए गुणवत्तापरक शिक्षा के दृष्टिकोण को ध्यान में रखें। उन्होंने कहा कि वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट के तीन भाग होंगे, जिसमें स्वयं मूल्यांकन, प्रबंधन मूल्यांकन एवं ग्रेडिंग व प्रबंधन के सुझाव शामिल हैं। प्रस्तावित मूल्यांकन नीति 360 डिग्री प्रतिपुष्टि के रूप में इस संदर्भ में व्यापक रूप से विचार करने की आवश्यकता को स्वीकार करता है। इस समग्र दृष्टिकोण का उद्देश्य प्रत्येक से अध्यापक के प्रदर्शन के ज्ञान की सूचना एकत्रित करना है ताकि अध्यापक के कार्य की समीक्षा करते हुए उसके सुधार के क्षेत्रों की पहचान की जा सके। एक ऐसा मल्टीपल डॉटा स्त्रोत, जिसमें प्रश्नावली एवं सर्वेक्षण, विद्यार्थी उपलब्धता, पर्यवेक्षण नोट, अध्यापक विकसित पाठ्यक्रम और परीक्षाएं, अभिभावक रिपोर्ट, स्कूल प्रबंधन एवं रखरखाव में अध्यापक की भागीदारी शामिल हो व इसी प्रकार की एकत्रित अन्य सूचनाओं के आधार पर मूल्यांकन का निर्णय लिया जाएगा। इस नीति में बच्चों से भी अपने अध्यापक के मूल्यांकन के बारे में पूछा जाएगा और ऐसे व्यक्तियों से प्रतिपुष्टि होगी, जिन्हें अध्यापक के कार्यों का द्वितीयक ज्ञान होगा। इसमें अभिभावक, साथी अध्यापक एवं स्कूल प्रबंधन समितियां शामिल हैं। शिक्षा का अधिकार, 2009 के तहत अध्यापकों के लिए निर्धारित आचार संहिता का उद्देश्य यह है कि अध्ययन के लिए ऐसा वातावरण सृजित करने का प्रयास हो कि उनकी क्षमता पोषित हो सके(दैनिक जागरण,चंडीगढ़,18.10.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।