देश की शीर्ष प्रशासनिक सेवा सिविल सेवा (सीएसई) की प्रारम्भिकी परीक्षा की पद्धति में बदलाव किया गया है जो 2011 से लागू होगी। योजना एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने राज्यसभा को बताया कि सिविल सेवा परीक्षा 2011 से सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा की पद्धति और पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया गया है।
उन्होंने बताया कि अब तक सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य अध्ययन का एक पेपर होता था जो 150 अंकों का था और दूसरा पेपर 300 अंकों का था जिसमें उम्मीदवारों के पास 23 वैकल्पिक विषयों में से चुनने का विकल्प होता था। नारायणसामी ने टी एम सेल्वागणपति द्वारा पूछे गए प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि अब इसे बदलते हुए संशोधित पद्धति के अंतर्गत 200-200 अंक के दो पेपर होंगे। उन्होंने बताया कि सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में परिवर्तन अलघ समिति तथा द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों पर विचार कर और संघ लोक सेवा आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था। नारायणसामी ने बताया कि संध लोक सेवा आयोग द्वारा पाठ्यक्रम के निर्धारण हेतु एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी और अंशधारकों के साथ व्यापक विचार विमर्श हेतु कार्यशालाएं आयोजित की थीं।
इस परीक्षा के तहत पेपर-वन के लिए 200 अंक होंगे और परीक्षा की अवधि दो घंटे की होगी। इसमें पहला-राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनाएं, दूसरा- भारत और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास, तीसरा- भारत और विश्व का भौतिक, सामाजिक और आर्थिक भूगोल, चौथा- भारतीय राजनीति और शासन, पांचवां- आर्थिक और सामाजिक विकास, छठा- पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन से जुड़े सामान्य मुद्दे और सातवां- सामान्य विज्ञान का होगा।
पेपर-टू के तहत पहला- कॉम्प्रीहेन्शन, दूसरा- संप्रेषण कौशल सहित परस्पर कौशल, तीसरा- तर्कसंगतता और विश्लेषणात्मक योग्यता, चौथा- निर्णय करना और प्रश्न हल करना, पांचवां- सामान्य बौद्धिक योग्यता, छठा- मूल गणना (कक्षा दस तक के स्तर के अनुरूप), अंग्रेजी भाषा ज्ञान कौशल इत्यादि का होगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,12.11.2010)।
उन्होंने बताया कि अब तक सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य अध्ययन का एक पेपर होता था जो 150 अंकों का था और दूसरा पेपर 300 अंकों का था जिसमें उम्मीदवारों के पास 23 वैकल्पिक विषयों में से चुनने का विकल्प होता था। नारायणसामी ने टी एम सेल्वागणपति द्वारा पूछे गए प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि अब इसे बदलते हुए संशोधित पद्धति के अंतर्गत 200-200 अंक के दो पेपर होंगे। उन्होंने बताया कि सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में परिवर्तन अलघ समिति तथा द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों पर विचार कर और संघ लोक सेवा आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था। नारायणसामी ने बताया कि संध लोक सेवा आयोग द्वारा पाठ्यक्रम के निर्धारण हेतु एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी और अंशधारकों के साथ व्यापक विचार विमर्श हेतु कार्यशालाएं आयोजित की थीं।
इस परीक्षा के तहत पेपर-वन के लिए 200 अंक होंगे और परीक्षा की अवधि दो घंटे की होगी। इसमें पहला-राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनाएं, दूसरा- भारत और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास, तीसरा- भारत और विश्व का भौतिक, सामाजिक और आर्थिक भूगोल, चौथा- भारतीय राजनीति और शासन, पांचवां- आर्थिक और सामाजिक विकास, छठा- पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन से जुड़े सामान्य मुद्दे और सातवां- सामान्य विज्ञान का होगा।
पेपर-टू के तहत पहला- कॉम्प्रीहेन्शन, दूसरा- संप्रेषण कौशल सहित परस्पर कौशल, तीसरा- तर्कसंगतता और विश्लेषणात्मक योग्यता, चौथा- निर्णय करना और प्रश्न हल करना, पांचवां- सामान्य बौद्धिक योग्यता, छठा- मूल गणना (कक्षा दस तक के स्तर के अनुरूप), अंग्रेजी भाषा ज्ञान कौशल इत्यादि का होगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,12.11.2010)।
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