नए सेमेस्टर सिस्टम के अंतर्गत छह दिसंबर से परीक्षाएं शुरू होने के मद्देनजर दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को डीयू के अध्यापकों को निर्देश दिया है कि वह मंगलवार से कक्षाएं लेना शुरू कर दें।हाईकोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए शिक्षकों के रवैए पर उन्हें जमकर फटकार लगाई।
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस मनमोहन सिंह की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि अगर कोई शिक्षक इस आदेश का पालन नहीं करेगा तो संबंधित कालेज उन्हें शिक्षक कार्य न करने की अवधि में उन्हें अनुपस्थित मान सकते हैं और संबंधित कानून के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
खंडपीठ ने शिक्षकों के रवैए पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इन शिक्षकों द्वारा शिक्षा को प्रशांत महासागर में नहीं फेंका जा सकता है, जो हड़ताल पर जाकर कानून अपने हाथ में ले रहे हैं। कानूनी प्रावधानों का कड़ाई से पालन होना चाहिए और शिक्षक विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्देशों का अनुकरण करना चाहिए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने उन सभी 31 कालेजों को जहां नया सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया है, आदेश दिया है कि अगर उन्हें नई व्यवस्था लागू करने में कोई परेशानी हो रही है तो वह परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को सूचित करें।
खंडपीठ ने विभिन्न कालेजों और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी की सलाह से परीक्षा तिथि के लिए और समय दिए जाने पर विचार करने की भी इजाजत दे दी है। हाईकोर्ट ने डीयू को हालात को मॉनीटर करने के लिए एक कोर कमेटी का गठन करने के लिए कहा है।
कोर्ट ने यूजीसी से एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् को इसका सदस्य चुनने का निर्देश भी दिया है। खंडपीठ डीयू के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो. एमआर गुप्ता द्वारा दाखिल जनहित याचिका पीआईएल पर सुनवाई कर रही है।
याचिका में उन अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए निर्देश की मांग की गई है, जो कक्षाएं नहीं ले रहे हैं। 29 अक्टूबर को हड़ताली अध्यापकों ने हाईकोर्ट के निर्देश पर अपनी हड़ताल वापस ले ली थी।
गौरतलब है कि डीयू के अध्यापक मौजूदा सत्र से स्नातक कोर्स के लिए विज्ञान पाठ्यक्रम में सेमेस्टर सिस्टम लागू किए जाने के खिलाफ काफी समय से आंदोलन कर रहे हैं।
वीसी की राह होगी आसान
सेमेस्टर सिस्टम को लेकर बीते दो वर्षो से डीयू में जारी शिक्षकों व प्रशासन के संघर्ष पर विराम लगता दिख रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट के ताजा निर्देश के बाद न सिर्फ विवि में सेमेस्टर सिस्टम के तहत पढ़ाई का मार्ग प्रशस्त हुआ है बल्कि आए दिन हड़ताल करने वाले शिक्षकों पर भी अंकुश लगाने का रास्ता साफ हुआ है।
कुलपति प्रो. दिनेश सिंह का कहना है कि न्यायालय के आदेश के बाद सेमेस्टर सिस्टम को लागू करने में आ रही अड़चनों को दूर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने शिक्षकों व छात्रों से सहयोग मांगा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न कॉलेजों में अब तक हुई पढ़ाई को देखते हुए नया परीक्षा कार्यक्रम जारी किया जाएगा।
21 नवम्बर से प्रस्तावित प्रायोगिक परीक्षाएं और 6 दिसम्बर की मुख्य परीक्षाएं अब दिसम्बर के अंत तक या फिर जनवरी के पहले सप्ताह तक खिसक सकती हैं।
कॉलेजों में पढ़ाई शुरू कराने के मुद्दे पर कुलपति ने कहा कि क्योंकि न्यायालय ने इस मोर्चे पर भी डीयू को कहा कि वह जरूरत के मुताबिक अतिरिक्त शिक्षकों का इंतजाम कर सकता है, इसलिए जरूरत पड़ने पर इस दिशा में भी काम होगा।
न्यायालय की ओर से सेमेस्टर सिस्टम को लेकर मचे कलह पर आम राय तैयार करने के लिए खास कमेटी के गठन की बात कही गई है, जिसमें यूजीसी के प्रतिनिधि को शामिल किया जाएगा। पूर्व कुलपति प्रो. दीपक पेंटल इस व्यवस्था को बेहतर करार देते हुए कहते हैं कि अब शिक्षकों की शंकाओं का समाधान भी मुमकिन हो गया है।
डूटा अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्रा का कहना है कि वह न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं और 13 दिसम्बर को आने वाले अंतिम निर्णय का उन्हें इंतजार है, जबकि एग्जीक्यूटिव काउंसिल सदस्य डॉ. राजीब रे का कहना है कि डीयू ने न्यायालय को गुमराह किया है।
13 साइंस पाठ्यक्रमों में सेमेस्टर पढ़ाने वाले 29 में से 18 कॉलेजों में पढ़ाई जारी रहने की बात पहले ही डीयू कर रहा था और शेष बचे 11 कॉलेजों में से 7 कॉलेजों के प्रिंसिपलों ने भी इसकी स्वीकृति दे दी है। प्रिंसिपलों के बयान को शिक्षकों का मत करार दिया जा रहा है, जो ठीक नहीं है।
शिक्षक संघ चुनाव होगा अहम
डीयू में पाठ्यक्रम निर्माण, क्रियान्वयन समेत तमाम अहम शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक योजनाओं को हरी झंडी दिखाने वाली एकेडमिक व एग्जीक्यूटिव काउंसिल के लिए चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया गया है।
विश्वविद्यालय के शिक्षकों के बीच से चुनकर आने वाले एकेडमिक काउंसिल के 26 सदस्यों व एग्जीक्यूटिव काउंसिल के दो सदस्यों के लिए 17 दिसम्बर को मतदान होगा।
सेमेस्टर सिस्टम को लेकर जारी जंग के बीच शिक्षक प्रतिनिधियों के लिए यह चुनाव बेहद अहम होगा और इसमें मिलने वाली सफलता-असफलता तय करेगी कि शिक्षक नेताओं से आम शिक्षक किस हद तक खुश या नाखुश हैं।
रजिस्ट्रार की ओर से जारी चुनाव कार्यक्रम मे तहत नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 29 नवम्बर निर्धारित की गई है। जबकि नामाकंन वापिस लेने की अंतिम तिथि एक दिसम्बर, 2010 शाम चार बजे तक है।
इसके बाद पांच बजे तक अंतिम उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी जाएगी। आगामी 17 दिसम्बर को आवश्यकता पड़ने पर मतदान की प्रक्रिया अंजाम दी जाएगी। मतदान सुबह साढ़े दस बजे से शाम साढ़े चार बजे के बीच होगा जिसके तहत दोपहर डेढ़ बजे से दो बजे के बीच प्रक्रिया को विराम दिया जाएगा।
दो साल में एक बार होने वाले इन चुनावों के लिए कैम्पस में सक्रिय विभिन्न संगठनों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों पर विचार करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही चुनाव के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर भी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
सभी अपनी-अपनी तरह से सेमेस्टर सिस्टम को लेकर जारी संघर्ष का फायदा उठाने की जुगत में हैं। हालांकि, अंतिम दौर में बदले न्यायालय के रुख और शिक्षकों पर कक्षाओं में जाने को लेकर बने दबाव के चलते बदले समीकरणों का प्रभाव अवश्य ही इन चुनावों पर पड़ता नजर आ रहा है।
विश्वविद्यालय शिक्षक प्रतिनिधियों की इस चुनाव प्रक्रिया में जहां एकेडमिक काउंसिल के 26 सदस्यों के चुनाव में कॉलेज के सभी शिक्षक मतदान करते हैं, वहीं एग्जीक्यूटिव काउंसिल के लिए होने वाले दो सदस्यों के चुनाव मे कॉलेज शिक्षकों के साथ-साथ विभागीय प्रोफेसर भी मतदान करते हैं।
पढ़ाई न होने से परेशान छात्रों का प्रदर्शन
डीयू में सेमेस्टर सिस्टम को लेकर बाधित पढ़ाई से परेशान छात्रों ने सोमवार को कुलपति कार्यालय पर प्रदर्शन कर राहत की मांग की। विवि छात्रसंघ पदाधिकारियांे के नेतृत्व में कुलपति कार्यालय पहुंचे छात्रों ने कहा कि जब तक पर्याप्त कक्षाएं नहीं होंगी, वे परीक्षाओं में नहीं बैठेंगे।
हालांकि, दोपहर में आए न्यायालय के निर्देश के बाद कक्षाओं के शुरू होने का मार्ग प्रशस्त होने पर भी छात्रसंघ अध्यक्ष ने साफ किया कि परीक्षाओं में बैठने का निर्णय परीक्षाओं के समय पर ही लिया जाएगा।
डूसू अध्यक्ष जितेन्द्र चौधरी ने बताया कि 21 जुलाई से शुरू नए सत्र के लिए नियमित पढ़ाई की शुरुआत राष्ट्रमंडल खेलों के बाद नवम्बर माह में शुरू हो पाई है। वह कहते हैं कि एक सेमेस्टर में कम से कम 90 दिन की पढ़ाई होनी चाहिए और जब तक इतनी कक्षाएं नहीं होंगी तब तक छात्र परीक्षा नहीं देंगे।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश मंत्री आशुतोष श्रीवास्तव ने विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा कि शिक्षक व प्रशासन की लड़ाई में छात्र पिस रहे हैं और अब यह अन्याय बर्दाश्त नहीं होगा।
आर्ट्स फैकल्टी से कुलपति कार्यालय तक निकाली गई चेतावनी रैली में डूसू उपाध्यक्ष प्रिया डबास व सचिव नीतू डबास ने भी शिरकत की और छात्र-छात्राओं की मांगों को प्रशासन के समक्ष रखा। इस मौके पर छात्रों की ओर से ज्ञापन कुलपति के प्रतिनिधि प्रॉक्टर प्रो. गुरमीत सिंह को सौंपा(दैनिक भास्कर,दिल्ली,16.11.2010)।
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