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26 नवंबर 2010

सेल्स मैनेजर के गुर सीखें डीयू से

ऑटोमोबाइल की बिक्री आए दिन बाजार में नए रिकार्ड कायम कर रही है। इनमें नई कारों व मोटरसाइकिलों के अलग-अलग मॉडलों की धूम है। इनकी खरीद-फरोख्त, उसकी सर्विस कंडीशन और उसके पार्ट्स की खासियत से ग्राहकों को परिचित कराने के लिए ऑटोमोबाइल कंपनियों के शो रूम में सेल्स मैनेजर व सेल्स असिस्टेंट की हर दिन जरूरत पड़ रही है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस ऑफ ओपन लर्निग ने ऐसे कुशल मैनेजरों व सहायकों को ध्यान में रखते हुए ही तीन साल पहले कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री की मदद से ऑटोमोबाइल सर्विस एंड मैनेजमेंट का कोर्स शुरू किया था। प्रोफेशनल कोर्स के तहत यह कोर्स को केशवपुरम स्थित सेंटर फोर प्रोफेशनल एंड टेक्निकल ट्रेनिंग में सफलतापूर्वक चल रहा है। कोर्स में इन दिनों दाखिले की प्रक्रिया जारी है। रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख 6 दिसम्बर है।


कोर्स क्या है
यह सर्टिफिकेट कोर्स है। छह माह के इस कोर्स में चार महीने थ्योरी की पढ़ाई कराई जाती है। उसके बाद दो माह होन्डा और मारुति जैसी कंपनियों में इंटर्नशिप पर भेजा जाता है। कोर्स के कोऑर्डिनेटर लाजपत वर्मा ने बताया कि यह कोर्स मैकेनिक बनाना नहीं सिखाता। इसका उद्देश्य छात्रों को सेल्स और ऑटोमोबाइल मैनेजमेंट का हुनर सिखाना है। उन्हें मोटर के सभी पार्ट्स की खासियत से रूबरू कराया जाता है।

छात्रों को किसी कार या बाइक के इंजन, ब्रेक, शॉकर्स, एक्सेल, सीट, गेट के बारे में जानकारी दी जाती है। उसमें लगे इलेक्ट्रिकल सामान, लाइट जैसे सभी पार्ट्स के बारे में भी बताया जाता है। कलपुर्जो की क्षमता कितनी है, इनका रखरखाव कैसे करना है, इंधन बचाने में कौन सी गाड़ी और इंजन कितना सक्षम है, इन सबके बारे में बताया जाता है। इससे जुड़े सॉफ्टेवेयर से भी परिचय कराया जाता है। उन्हें कस्टमर केयर में ग्राहकों को कैसे डील करना है, इस कला में दक्ष बनाया जाता है। इसके लिए किताबी ज्ञान के अलावा लैब की भी मदद ली जाती है। छात्रों को ऑटोमोबाइल लैब में प्रशिक्षित किया जाता है।

कैम्पस ऑफ ओपन लर्निग की निदेशक डॉ. सविता मोहन दत्ता ने बताया कि छात्रों के लिए पिछले माह आटोमोबाइल की लैब तैयार की गई है। यह लैब होंडा और मारुति के सहयोग से तैयार हुई है। इसमें गाड़ी में इस्तेमाल होने वाले हर तरह के पार्ट्स और बाजार में आई कारों के नए नए मॉडल आदि के बारे में बताया जाता है। इससे जुड़े सॉफ्टवेयर की जानकारी दी जाती है।

दाखिला कैसे पाएं
कोर्स में 25 सीटें है। दाखिला उन्हीं छात्रों को दिया जाता है, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी रेगुलर या पत्रचार संस्थान में अध्ययनरत हैं। वे साइंस, आर्ट्स या कॉमर्स, किसी भी विषय के छात्र हों। दाखिले के लिए एक टैस्ट होता है, जिसमें आईक्यू और अंग्रेजी भाषा व सामान्य ज्ञान की परख की जाती है। दाखिले के बाद सप्ताह में तीन से चार दिन कक्षाएं होती है। इस कोर्स को रेगुलर कोर्स के साथ भी किया जा सकता है। कोर्स के लिए दिसम्बर या जनवरी में कक्षाएं शुरू होंगी। कोर्स की फीस 16.500 रुपये है।

प्लेसमेंटपिछले साल तक शत-प्रतिशत प्लेसमेंट हुआ है। शोरूम और ऑटोमोबाइल कंपनियों में सेल्स सहायक, कंसलटेंट के रूप में प्लेसमेंट होती है। इसके अलावा ऑटो पार्ट्स और इससे जुड़े सॉफ्टवेयर का अपना व्यवसाय भी शुरू किया जा सकता है।
रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख-6 दिसम्बर
(प्रियंका कुमारी,हिंदुस्तान,दिल्ली,23.11.2010)

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