शिक्षा विभाग ने सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षा को गुणवत्तापरक बनाने की मुहिम के तहत निर्णय लिया है कि अब स्कूलों को अध्यापक संख्या के आधार पर नहीं बल्कि विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर अनुदान दिया जाएगा। मतलब, जहां पर विद्यार्थी कम होंगे उन्हें कम सहायता मिलेगी। नया माडल लागू करने से पहले शिक्षा विभाग ने सभी सहायता प्राप्त स्कूलों और शिक्षा प्रणाली के अन्य घटकों से टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। जानकारों का कहना है कि विभाग का वर्तमान में प्रचलित अध्यापक आधार पर सहायतानुदान प्रणाली के स्थान पर नई सहायतानुदान प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव है। विभाग स्कूल में विद्यार्थियों के दाखिलों के आधार पर सहायता उपलब्ध करवाएगा और यह प्रति विद्यार्थी के हिसाब से तय होगी। नई प्रति विद्यार्थी सहायतानुदान प्रणाली के दृष्टिगत स्कूल से विशेष कार्य प्रदर्शन तथा गुणवता मानदंड अपेक्षित हैं। इनमें से कुछ संभावित मानदंडों में केवल राज्य अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण प्रशिक्षित शिक्षण स्टाफ की सेवाएं लेना, सभी बच्चों को 10वीं तथा 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं जैसी बाह्य परीक्षाएं उत्तीर्ण करनी चाहिए। ऐसा न करने की स्थिति में स्कूलों क ो प्रति विद्यार्थी प्राप्त किए गए अनुदान की प्रतिपूर्ति भी करनी पड़ सकती है। स्कूल को हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड या केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, आईसीएसई/भारतीय बोर्ड से संबद्ध होना चाहिए। स्कूल को सभी प्रासंगिक अधिनियमों एवं नियमों जैसे कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009, हरियाणा स्कूल शिक्षा अधिनियम या नियम की पालना करनी होगी और इनमें होने वाले संशोधन भी मानने होंगे। स्कूल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (जिसमें पाठयक्रम में बदलाव मूल्यांकन और अध्यापक प्रशिक्षण शामिल हैं) की भी पालना करनी होगी। शिक्षा विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि जो सहायता प्राप्त स्कूल प्रति विद्यार्थी सहायतानुदान की नई प्रणाली अपनाना चाहते हैं, उन्हें स्कूल प्रबंध समिति की ओर से विभाग को इस आशय की जानकारी देनी होगी(दैनिक जागरण,चंडीगढ़,8.11.2010)।
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