अमेरिकी अधिकारी न केवल भारतीय आईटी कंपनियों के कर्मचारियों को न केवल वीजा देने में आनाकानी कर रहे हैं बल्कि उनके साथ बुरा बर्ताव कर रहे हैं। आईटी इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन नेसकॉम ने यह मामला अमेरिकी राजदूत रोमर टीमोथी के सामने रखा है। इस मामले को लेकर आईटी एवम संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट ने अमेरिकी के सामने इस मामले को उठाने की बात कही है उन्होने कहा है कि ओबामा के भारत दौरे के दौरान ये मामला उठाया जाएगा।
बंगलुरु में नैसकॉम के सूत्रों ने इन खबरों के बारे में कहा कि उसने भारत में अमेरिका के राजदूत रोमर टीमोथी को इस बारे में लिखा है । नैसकॉम ने कहा जिन भारतीय कंपनियों के साथ ऐसा हुआ है वे सभी बढ़िया कंपनियां हैं। नैसकॉम ने भारत सरकार क भी इस बारे में सूचित किया है।
बताया जा रहा है कि भारत के बड़े शहरों में स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास बी-1, एल-1, एच-1 वीजा के आवेदनों को अकारण ही रद्द कर रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं वीजा के लिए आए हुए आवेदनकर्ताओं के साथ बुरा बर्ताव भी कर रहे हैं। एक दो मामलों में तो आवेदनकर्ताओं को धमकाया भी गया है(दैनिक भास्कर संवाददाता,दिल्ली,4.11.2010)।
उधर,बिजनेस भास्कर ने खबर दी है कि भारतीय आईटी इंडस्ट्री का हब कहे जाने वाले बेंगलुरू शहर की आईटी कंपनियों को देखकर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा घबरा गए हैं। ये कहना है देश के कानून मंत्री वीरप्पा मोइली का। मोइली ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने देश के लोगों को कई बार कह चुके हैं कि अगर वे कड़ी मेहनत नहीं करेंगे तो बेंगलुरु के आईटी प्रोफेशनल्स को कॉम्पिटिशन नहीं दे पाएंगे। उनकी इन बातों से ये साफ जाहिर होता है कि वे यहां की आईटी इंडस्ट्री से घबरा गए हैं।
बेंगलुरू में आईटी सेक्टर की तरक्की का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने अधिकारियों की मदद से बेंगलुरु में वर्ल्ड क्लास आईटी बुनियादी ढांचा खड़ा किया। और आज यहां की आईटी इंडस्ट्री इतनी विकसित हो चुकी है कि दुनियाभर में इसकी चर्चा हो रही है।
दूसरी ओर अमेरिकी हवाई अड्डों पर तैना आव्रजन अधिकारी आईटी कंपनियों के कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं। न्यूयॉर्क हवाई अड्डे पर हाल ही में एक आईटी कंपनी के कुछ कर्मचारियों के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया गया। उन्हे कहा गया कि उनके सारे कागजात फर्जी हैं और वे अवैध रुप से अमेरिका आए हैं। उन पर यह दबाव डाला गया कि वे यह लिखकर दें कि उनकी कंपनी ने उन्हें अवैध वीजा पर भेजा है। उन कर्मचारियों ने ऐसा करने के बजाय भारत आ ही बेहतर समझा।
एक आईटी कंपनी के अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी जानबूझकर ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों के वीजा आवेदन रद्द कर रहे हैं ऐसा सिर्फ भारतीय कंपनियों के साथ नहीं हो रह है बल्कि एमएमसी के साथ भी हो रहा है।
देखना है कि भारत सरकार इस मामले को राष्ट्रपति ओबामा के सामने उठाती है या नहीं।
बहुत अच्छा पोस्ट , दीपवाली की शुभकामनाये
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