अपनी मुंबई यात्रा के दौरान अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की कोशिश है हिंदुस्तान की नई पीढ़ी से एक रिश्ता क़ायम करने की.
इसी संदर्भ में वो मुंबई के मशहूर कॉलेज सेंट ज़ेवियर्स में छात्रों को संबोधित करेंगे और उनके सवालों के जवाब भी देंगे.
सेंट ज़ेवियर्स में अभी छुट्टी है, बच्चें नदारद हैं लेकिन कॉलेज से गाड़ियों का आना-जाना जारी है.
सवा सौ साल से ज़्यादा पुराने इस कॉलेज के बॉस्केटबॉल कोर्ट में लकड़ी का स्टेज बनाने के लिए ज़ोरों से काम चल रहा है. अमरीकी वाणिज्य दूतावास के लोग आ जा रहे हैं, स्टेज के लिए ज़रूरी सामान को अंदर ले जाया जा रहा है.
कॉलेज के दरवाज़ों पर पुलिस वालों ने अपनी जगह संभाल ली है. सभी दूसरी जगहों की तरह यहाँ भी हर आने-जाने वाले से गहन पूछताछ की जा रही है.
संबोधन
इस कॉलेज में बराक ओबामा क़रीब 300 छात्रों को संबोधित करेंगे जिनमें से 200 छात्र सेंट ज़ेवियर्स के हैं, बाक़ी दक्षिण मुंबई स्थित दूसरे कॉलेजों के छात्र हैं.
संबोधन सभा में हिस्सा लेने के लिए उन्हीं छात्रों का चुनाव किया जाएगा, जो छात्र पढ़ाई में सबसे अच्छे हैं.
छात्र भी अमरीकी राष्ट्रपति से मिलने के लिए आतुर हैं. कुछ का कहना है कि वो उनसे स्वास्थ्य संशोधन बिल पर सवाल पूछेंगे, कुछ और छात्र सवालों को तैयार करने के लिए अध्यापकों की मदद ले रहे हैं.
सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज के प्रधानाचार्य फ़ादर फ़्रेज़र मैस्करेना ने बीबीसी को बताया कि ये उनके कॉलेज के लिए गौरव की बात है.
वे कहते हैं, "ये हमारे लिए बेहद गौरव की बात है कि किसी भी देश के राष्ट्रपति यहाँ पर आएँ और हमारे छात्रों से बात करें, ख़ासकर अमरीका के राष्ट्रपति. हम और हमारे छात्र इस यात्रा को लेकर काफ़ी उत्साहित हैं. ऐसी बातें ज़िंदगी में एकाध बार ही होती हैं."
फ़ायदा
उनका कहना था कि बराक ओबामा ने जिस तरह स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की बात की है उससे ग़रीबों को फ़ायदा होगा.
क़रीब 300 छात्रों को संबोधित करेंगे ओबामा
उन्होंने कहा, "उन्होंने मुसलमानों की ओर भी ऐसे वक़्त हाथ बढ़ाया है जब उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही हैं. उन्हें नोबल का शांति पुरस्कार दिया गया और इसलिए वो शांति के दूत हैं."
सुरक्षा की वजह से उनका स्वागत सादे तरीक़े से किया जाएगा
फ़ादर मैस्केरेना को उम्मीद है कि ओबामा छात्रों को शांति और लोकतंत्र के अलावा ये भी बताएँगे कि झगड़ों को सुलझाने के लिए किस तरह के क़दम उठाए जाएं ताकि सबका भला हो.
उनका कहना था, "बराक ओबामा की कोशिश होनी चाहिए कि भारतीय और अमरीकी विश्वविद्यालयों के बीच आदान-प्रदान की प्रक्रिया प्रारंभ हो. आज के युग में शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण ज़रूरी है. अगर आपको आज की दुनिया के लिए छात्र तैयार करने हैं तो उनका सिर्फ़ अमरीका में पढ़ाना काफ़ी नहीं है. उन्हें दूसरी सभ्यताओं का अनुभव होना चाहिए. दोनो देशों के छात्रों और शिक्षकों के बीच बातचीत और आपसी समझ ज़रूरी है. यही हमारी अमरीका के राष्ट्रपति से विनती होगी."
लेकिन इस समारोह से शिक्षकों और कॉलेज के दूसरे स्टाफ़ को बाहर रखा गया है, इससे कुछ लोगों में थोड़ा क्षोभ है.
इस पर फ़ादर मैस्केरेना कहते हैं कि उन्हें इसमें कुछ अटपटा नहीं दिखता क्योंकि बराक ओबामा तो छात्रों से मिलने आ रहे हैं न कि शिक्षकों और कॉलेज से स्टाफ़ से(विनीत खरे,बीबीसी संवाददाता,भास्कर डॉट कॉम,4.11.2010).
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