हिमाचल प्रदेश सरकार प्रदेश में निजी क्षेत्र में दो और मेडिकल कालेज खोलने जा रही है। ये कालेज हमीरपुर और सिरमौर जिलों में खोले जाएंगे। राज्य में डाक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ मेडिकल स्कूलों को खोले जाने की नई व्यवस्था भी शुरू करने जा रही है। आरंभ में प्रदेश में तीन मेडिकल स्कूल खोले जाएंगे। इन्हें हमीरपुर, चंबा और सरकाघाट में खोला जाएगा। ये मेडिकल स्कूल सरकारी क्षेत्र में खोले जाएंगे।
प्रदेश में इस समय लगभग साढ़े तीन सौ डाक्टरों की कमी चल रही है। इस समय राज्य में दो मेडिकल कालेज हैं। शिमला और कांगड़ा जिले के टांडा में चल रहे ये दोनों कालेज सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं। इनके अलावा मंडी जिले में जहां सरकारी क्षेत्र में एक ईएसआई मेडिकल कालेज बन रहा है वहीं सोलन और पालमपुर में निजी क्षेत्र में दो अन्य प्राईवेट मेडिकल कालेज खोले जाने का फैसला भी लिया जा चुका है। पालमपुर में जयप्रकाश इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर विवेकानंद ट्रस्ट द्वारा कालेज को खोला जाएगा, जबकि सोलन में मार्कंडेश्ïवर विश्ïवविद्यालय अपना कालेज चलाएगा।
हमीरपुर और सिरमौर जिले में खोले जाने वाले निजी क्षेत्र के दो कालेजों की टेक्ïिनकल बिड सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गई है। हमीरपुर में वोकेशनल एजूकेशन फाउंडेशन और सिरमौर में मां सरस्वती ट्रस्ट कालाअंब द्वारा मेडिकल कालेज खोले जा रहे हैं। इन संस्थाओं द्वारा दी जाने वाली फाइनेंशियल बिड पर अब सरकार को अंतिम निर्णय लेना है। सरकार चाहती है कि अगले दो वर्षों के दौरान ये कालेज भी काम करना शुरू कर दें। इस संबंध में सरकार संबंधित संस्थाओं के साथ शर्तों को जल्दी ही तय करने की तैयारी में है।
इन कालेजों की एक खास बात यह होगी कि इनके साथ सरकारी अस्पतालों की जगह नये निजी अस्पतालों को ही सम्बद्ध किया जाएगा। इन निजी अस्पतालों की स्थापना भी मेडिकल कालेज खोलने वाले संस्थान ही करेंगे। निजी मेडिकल कालेजों में सौ-सौ सीटों के साथ दाखिले की तैयारी की जा रही है। इनमें से कुछ सीटें पेड भी होंगी।
राज्य की निदेशक मेडिकल शिक्षा डा. जयश्री के अनुसार निजी क्षेत्र में खोले जा रहे दोनों मेडिकल कालेजों के लिए हमीरपुर और सिरमौर में जगह का चयन किया जा रहा है। संपर्क साधे जाने पर उन्होंने ‘दैनिक ट्रिब्यूनÓ को बताया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा एक मेडिकल कालेज के लिए कम से कम 25 एकड़ भूमि के प्रावधान की शर्त लगायी गयी है लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों के लिए इसमें पांच एकड़ की छूट देकर इसे 20 एकड़ कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि ये 20 एकड़ जमीन भी दस किलोमीटर के दायरे में स्थित दो पहाडिय़ों पर हो सकती है।
डा. जयश्री ने बताया कि राज्य में सरकारी क्षेत्र में खोले जाने वाले तीन मेडिकल स्कूलों में बैचलर ऑफ रूरल हेल्थ केयर सिस्टम का साढ़े तीन वर्षीय डिग्री कोर्स कराया जाएगा। इन तीन संस्थानों में 25 या 50 सीटों की व्यवस्था की जाएगी। इन मेडिकल स्कूलों को खोलने का मुख्य उद्देश्य यही है कि राज्य में डाक्टरों की कमी की वजह से चिकित्सीय सुविधाओं के अभाव में रह रहे लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। डा. जयश्री ने बताया कि इन कालेजों को भी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों के तहत ही खोला जा रहा है। इन स्कूलों में ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को ही दाखिले दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि मेडिकल स्कूलों में भी पेड सीटों का प्रावधान होगा। जिस मेडिकल स्कूल में 50 सीटें होंगी उसमें 15 और जिसमें 25 सीटें होंगी उसमें 8 पेड सीटों का प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल स्कूलों के लिए जमीन संबंधी शर्त नहीं है, बल्कि सिर्फ इसके लिए आवश्यक प्रयोगशालाओं और अन्य आधारभूत ढांचे की व्यवस्था को ही मेडिकल काउंसिल द्वारा अनिवार्य बनाया गया है(शशिकांत,दैनिक ट्रिब्यून,शिमला,16.11.2010)।
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