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05 नवंबर 2010

राजस्थानःवार्षिक परीक्षा परिणाम कम्प्यूटर पर उपलब्ध होंगे

जिला स्तर पर प्रशिक्षण के बाद माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में वार्षिक परीक्षा परिणाम चयनित स्कूलों में कम्प्यूटर पर तैयार किया जा सकेगा। पूर्व में प्रथम परख से ही कम्प्यूटर पर रिजल्ट तैयार करने की योजना थी, लेकिन बजट के अभाव में यह योजना शुरूआती प्रशिक्षण के बाद अटक गई।

शिक्षा विभाग की ही एक शिक्षिका डी. कविता द्वारा माइक्रोसॉफ्ट एक्सल जैसे आसान प्लेटफॉर्म पर तैयार किए गए सॉफ्टवेयर को कोई भी कम्प्यूटर शिक्षित शिक्षक चला सकता है। सॉफ्टवेयर तैयार होने के बाद एसआईईआरटी उदयपुर में हर जिले के दो मूल संदर्भ व्यक्तियों को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया था।
इसके बाद जिला स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाना था, लेकिन उदयपुर के प्रशिक्षण के बाद जिला स्तर पर कोई कार्रवाई ही नहीं हुई। हालांकि माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने जिले में मूल संदर्भ व्यक्तियों के जरिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के निर्देश दे दिए थे, लेकिन बजट के अभाव में प्रशिक्षण शुरू नहीं हो पाया।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक भास्कर ए. सावंत ने बताया कि अब जिला स्तर के प्रशिक्षण को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के साथ जोड़ा जाएगा। अर्द्धवार्षिक परीक्षा के बाद ही जिला स्तरीय प्रशिक्षण शुरू हो पाएंगे।
राज्य के कई स्कूलों में जहां कम्प्यूटर लैब पूर्णतया काम कर रही है और इसके लिए आवश्यक मानव संसाधन हैं, वहां चालू सत्र का वार्षिक परीक्षा परिणाम इस सॉफ्टवेयर की मदद से कम्प्यूटर पर तैयार किया जा सकेगा। इसके बाद आगामी वर्षो में सभी स्कूलों में इसे आवश्यक रूप से लागू किया जाएगा।

ये हैं खूबियां
स्कूल का परीक्षा परिणाम तैयार करने में एक शिक्षक को प्रति शीट दो से ढाई घंटे लगते हैं। एक कक्षा की कम से कम तीन शीट हाथ से तैयार करनी पड़ती है। इसमें कई दिन लग जाते हैं। सॉफ्टवेयर की मदद से डाटा इनपुट करने के बाद हाथों-हाथ रिजल्ट सामने आ जाएगा(राजस्थान पत्रिका,बीकानेर,5.11.2010)।

इसमें प्रति कक्षा, प्रति संकाय, लिंग और जाति के आधार पर परिणाम भी निकाले जा सकते हैं। छात्रों के अलावा यह सॉफ्टवेयर शिक्षकों के परिणाम भी घोषित करेगा। इसमें यह स्पष्ट किया गया होगा कि किस विषय के शिक्षक के कितने विद्यार्थी सफल या असफल रहे हैं।

1 टिप्पणी:

  1. हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई
    जब सब हैं हम भाई-भाई
    तो फिर काहे करते हैं लड़ाई
    दीवाली है सबके लिए खुशिया लाई
    आओ सब मिलकर खाए मिठाई
    और भेद-भाव की मिटाए खाई

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