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27 नवंबर 2010

इंटरव्यू कला

इंटरव्यू लेना और देना दोनों ही एक कला है। यदि आप नौकरी चाहते हैं, तो इंटरव्यू में सफलता हासिल करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। इंटरव्यू के दौरान कई बार उम्मीदवार भारी भूल कर बैठते हैं मसलन, देर से आना, च्विंगम चबाना, मोबाइल को साइलेंट मोड पर नहीं रखना या फिर बातचीत के दौरान फोन का जवाब देना और अधिक उत्साह की बात करें तो अपने पर्स से कंघा निकालकर बाल संवारने लगना। यहां हम कुछ ऐसी ही सामान्य गलतियां दे रहे हैं। अगली बार जब भी आप हॉट सीट पर बैठे हों तो इनसे बचें
मुझे वास्तव में नौकरी नहीं चाहिएयह एक विनम्रता पूर्वक कहा गया वाक्य हो सकता है पर यह जाहिर भी करता है कि आप नौकरी के लिए बहुत तत्पर नहीं है। आपकी यह अनिच्छा नौकरी पाने की राह को मुश्किल बना सकती है। यदि नौकरी की इच्छा नहीं है तो आप इंटरव्यू पैनल के समय और संसाधन को व्यर्थ क्यों कर रहे हैं? शिलपुत्सी कंसल्टेंट की सीईओ पूर्वी सेठ बताती हैं, एक बार कंपनी ने विभिन्न उम्मीदवारों में से दो उम्मीदवारों को चुना। इंटरव्यू पैनल हैरत में आ गया, जब एक उम्मीदवार ने कहा कि उसे नौकरी नहीं चाहिए। वह अच्छा प्रदर्शन कर रहा था। अंत में उसने कहा कि वह नौकरी चाहता है, पर अब पैनल निर्णय बदल चुका था।
ज्यादा मैं-मैं अच्छी नहीं
आप जो शब्द बोलते हैं, जिस टोन में बात करते हैं, वह सब मायने रखता है। एकदम से इत्तेफाक नहीं रखने की शैली अच्छा तरीका नहीं है। स्लैंग या बेहद औपचारिक बातचीत भी नहीं करें। बेंगलुरू स्थित टाइटन इंडस्ट्री लि. में मार्केटिंग के ग्लोबल हेड सुपर्णा मित्र के अनुसार, वे एक बार अपने यहां ब्रांड मैनेजर की पॉजिशन के लिए एक लड़की का इंटरव्यू ले रही थी। लड़की धारा प्रवाह बात कर रही थी, पर हर वाक्य के साथ वे ‘यार’, ‘यू नो यार’, आदि शब्दों का प्रयोग कर रही थी। मुझे हैरत थी कि वह इतनी बार इस शब्द का प्रयोग कर रही है, जैसे मैं उसकी कॉलेज की मित्र हूं। कई बार उम्मीदवार का अत्याधिक अनौपचारिक व्यवहार इंटरव्यू पैनल के निर्णय को बदल देता है और आप नौकरी हासिल नहीं कर पाते।
मेरे बॉस अच्छे नहींआपका बॉस चाहे जैसा भी हो पर ऐसे लोगों के सामने बोलना जो कि आपके साथ काम नहीं करते हैं, आपको उनके सामने कमजोर स्थिति में खड़ा कर देगा। खासतौर पर इंटरव्यू के दौरान संभावित बॉस के सामने पूर्व बॉस को बुरा बोलना अति उत्साही कदम ही कहा जाएगा। सुपर्णा मित्र बताती हैं कि किस तरह एक उम्मीदवार ने इंटरव्यू के दौरान आधे से अधिक समय अपने पूर्व बॉस को कोसने में बिता दिया था। उसके अनुसार उसका बॉस दानव था। पर, तभी अचानक मुझे ख्याल आया कि यहां से बाहर जाते हुए यह उम्मीदवार मेरे अपने बारे में क्या कहेगी?
यह सब सिर्फ मैंने ही किया है
इक्या ह्यूमन कैपिटल सॉल्यूशन के चेयरमेन मार्केल पारकर के अनुसार एक उम्मीदवार ने यह दावा किया, ‘मैंने इस प्लांट को बनाया है’। कुछ प्रश्न पूछने के बाद यह पता चला कि उसकी वास्तविक भूमिका एग्जीक्युटिव असिस्टेंट की थी। पैनल में से जिसने प्रश्न पूछा था, उनको उम्मीदवार का बढ़ा चढ़ाकर किया दावा पसंद नहीं आया। यदि आप किसी प्रोजेक्ट को पूरा करते हैं, तो इंटरव्यू में बताते हुए अपने प्रोजेक्ट्स पार्टनर को क्रेडिट देना नहीं भूलें। बेहतर होगा कि आप कहें, यह मेरी खुशकिस्मती है कि उस प्रोजेक्ट पर काम करने वाली टीम में एक सदस्य मैं भी था। खुद पूरा क्रेडिट लेने का प्रयास नहीं करें।
पैनल नहीं है, मैं चाहे जो करूंयह कतई नहीं सोचें कि आप लॉबी या वेटिंग रूम में बैठे हैं तो आपको कोई नहीं देख रहा। या फिर आप रिसेप्शनिस्ट या किसी असिस्टेंट से कैसे बात कर रहे हैं, इस पर किसी का ध्यान नहीं होता। टाटा टेलीसर्विस, मुंबई में मार्केटिंग विभाग के प्रमुख अब्दुल खान के अनुसार, एक बार मैं अहमदाबाद में किसी नौकरी विशेष के लिए पांच लोगों का इंटरव्यू ले रहा था। सभी उम्मीदवार बहुत अच्छे थे। उनमें से किसी एक को चुनना वाकई मुश्किल था। ऑफिस से बाहर तभी एक घटना हुई। मुंबई से वापसी की फ्लाइट रद्द हो गई, पांचों मिलकर बात कर रहे थे कि क्या किया जाए। उनमें से एक रिसेप्शनिस्ट के पास गया, एअरलाइन से बात की, सभी के लिए होटल की व्यवस्था की, साथ ही एअरलाइन से भत्ते की मांग भी की (हालांकि यह मिला नहीं)। चारों को अपने पास बुलाया। अब मेरे लिए उनमें से किसी एक को चुनना मुश्किल नहीं था।
मेरे रिज्यूमे में ऐसा लिखा है?
बात जब आपकी क्षमताओं का आकलन करने की आती है, तो सबसे अधिक रिज्यूमे पर ध्यान दिया जाता है। रिज्यूमे को अपडेट अवश्य करें। पूर्वी बताती हैं, एक उम्मीदवार बता रहा था कि वो कहां-कहां काम कर चुका है। कंपनियों की यह लिस्ट काफी प्रभावी थी। पर कंपनियों के यह नाम उसके रिज्यूमे से मैच नहीं कर रहे थे। पता चला कि रिज्यूमे गलत तथ्यों से भरा है। फिर उसने कहा वो नौकरी के लिए इच्छुक नहीं था, इसलिए अपनी सच्चाई छुपा रहा था। मैं सिर्फ ये जानना चाहता था कि मैं पास हो पाता हूं या नहीं।
पारकर का मानना है कि साफ झूठ कभी सराहा नहीं जाता। मार्क ट्वेन का कहना है, यदि आप सच बोलते हैं, तो आपको कुछ भी याद रखने की आवश्यकता नहीं होती। आपका कहा आपकी साख होता है। ध्यान रखें इंटरव्यूकर्ता और हेड हंटर्स की याददाश्त बहुत तेज होती है।
(हिंदुस्तान,दिल्ली,22.11.2010)

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