अगर आप नौकरी की तलाश में हैं, तो आपकी यह मुश्किल जल्द ही हल होने वाली है। हाल ही में आई ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म अर्नस्ट ऐंड यंग की रिपोर्ट बताती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब आर्थिक मंदी से उबर चुकी है और आने वाले चंद महीनों में रोजगार का क्षेत्र नौकरियों से लबालब भरा होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 3-4 महीनों में भारत में महज छह सेक्टरों में 2.30 लाख नौकरियां अनुभवी व फ्रेशर्स दोनों के लिए आएंगी।
हेल्थकेयर
उम्मीद है कि अगले साल जनवरी से मार्च के बीच हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के लिए 60 हजार नई नौकरियां होंगी। यहां मांग और पूर्ति के बीच फासला होने के कारण जॉब की भरमार होगी। इस क्षेत्र में निवेश दिनोंदिन बढ़ रहा है। रहन-सहन के बदलते तौर-तरीकों, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मेडिकल सुविधाओं और विभिन्न तरह की सरकारी योजनाओं से इस क्षेत्र में संभावनाओं की कमी नहीं रही है। प्रकाश इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोथेरेपी, रिहैबिलिटेशन ऐंड एलाइड मेडिकल साइंस के सेक्रेटरी डॉ. वी.एस. चौहान के अनुसार, बड़ी संख्या में विदेशी लोग यहां इलाज करवाने आ रहे हैं, जिसके चलते मेडिकल टूरिज्म का क्षेत्र नौकरियों से हरा-भरा रहेगा। साथ ही प्राइवेट हॉस्पिटल्स व क्लिनिक्स की संख्या और बढ़ेगी, जहां नर्सेज से लेकर डॉक्टर्स तक की मांग होगी।
आईटी/आईटी इनेबल्ड सर्विसेज
वैश्विक मंच पर भारतीय विकास का डंका बजाने में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। रिपोर्ट बताती है कि यहां 50 हजार जॉब्स उपलब्ध होंगी। नैसकॉम के वाइस प्रेसीडेंट राजू भटनागर ने बताया कि मंदी के खत्म होने के कारण अब आईटी कंपनियां बड़ी संख्या में भर्तियां करेंगी। इसमें फ्रेशर्स और एक्सपीरियंस्ड दोनों के लिए नौकरियां होंगी। इंफोसिस व टीसीएस जैसी बड़ी आईटी कंपनियों ने भी अगले साल अच्छा रिक्रूटमेंट करने की बात कही है। आईटी सर्विसेज, बीपीओ व इंजीनियरिंग, रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट में मुख्य तौर पर जॉब होंगे।
रीयल एस्टेट
यहां 50 हजार नई नौकरियां उपलब्ध होने की उम्मीद जताई गई है। रीयल एस्टेट एक्सपर्ट राकेश पुरोहित का कहना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के कारण इस फील्ड में संभावनाओं की भरमार होने वाली है। रीयल एस्टेट से करीब 450 उद्योग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर से जुड़े हैं। भारत विकसित देश बनने की ओर अग्रसर है और यहां शहरीकरण की प्रक्रिया तेजी से जोर पकड़ रही है। ऐसे में सड़कें, पुल, रेजिडेंशियल, कॉमर्शियल और बिजनेस सेंटरों का बनना स्वाभाविक है। जाहिर है, इस क्षेत्र में खूब नौकरियां हैं। विदेशी कंपनियां और निवेशक भी देश में पांव पसार रहे हैं।
एजुकेशन ऐंड ट्रेनिंग
देश में एजुकेशन और ट्रेनिंग के क्षेत्र में टीचिंग प्रोफेशनल्स की मांग और पूर्ति के बीच हमेशा काफी फासला रहा है। अनुमान है कि आने वाले तीन से चार महीनों में यहां 30 हजार एजुकेशनल प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के अध्येता संजय शर्मा ने बताया कि हमारे देश की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा युवा वर्ग से है, जिसे शिक्षा उपलब्ध कराने वाले टीचरों और ट्रेनरों की दरकार है। इसके अलावा शिक्षा के अधिकार के कार्यान्वयन के कारण बहुत बड़ी संख्या में टीचरों की जरूरत होगी। उच्च और स्कूली स्तर पर नए कोर्सेज आएंगे, जिनके लिए टीचर्स की आवश्यकता होगी।
मैन्यूफैक्चरिंग
देश की आबादी तेजी से बढ़ रही है। जाहिर सी बात है कि लोगों की जरूरतें भी बढ़ेंगी। अनुमान के अनुसार, यहां अगले वर्ष के प्रारंभिक महीनों में करीब 20 हजार नौकरियां होंगी। फरीदाबाद के लघु उद्योग इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष राजीव चावला ने बताया कि युवाओं की आबादी और जरूरतें बढ़ने से घरेलू बाजार में अच्छी संभावनाएं हैं। मध्य वर्ग का विस्तार, सरकारी योजनाओं और लोगों की आमदनी अच्छी होने से क्रयशक्ति भी बढ़ी है। ऑटोमोबाइल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, गारमेंट्स जैसे विभिन्न मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्रों से संबंधित कंपनियां घरेलू बाजार में बढ़ती मांग की पूर्ति के लिए अपने प्लांट्स में विस्तार कर रही हैं। ऐसे में यहां श्रमशक्ति की मांग और बढ़ेगी।
बैंकिंग-फाइनेंस
शाखाओं में विस्तार और रिटायर स्टाफ की जगह नया स्टाफ भर्ती करने के लिए पब्लिक सेक्टर बैंकों में भारी संख्या में विभिन्न पदों के लिए नियुक्तियां हो रही हैं। उम्मीद है यहां नए साल के शुरुआती तीन महीनों के दौरान 20 हजार नौकरियां होंगी। आने वाले महीनों में भी इस तरह की स्थिति बनी रहेगी और आगामी दशक में यह मांग 5 लाख तक पहुंच जाएगी। प्राइवेट बैंकों की शाखाओं के विस्तार के कारण भी मौके बढ़ेंगे।
यहां होगी नौकरियों की बारिश
60,000 हेल्थ केयर
50,000 आईटी सर्विसेज
50,000 रीयल एस्टेट
30,000 एजुकेशन और ट्रेनिंग
20,000 मैन्यूफैक्चरिंग
20,000 बैंकिंग-फाइनेंस(ज्योति के. सिंह,अमर उजाला,23.11.2010)
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