स्वतंत्रता सेनानियों की तलाकशुदा पुत्रियां भी सरकारी नौकरी की हकदार होंगी। नौकरी में मिलने वाले दो फीसदी आरक्षण कोटे का फायदा पौत्रियों को भी रहेगा। पहले विवाह होने के बाद यह निकटवर्ती रिश्तेदार नौकरी के लिए आरक्षण के दायरे में नहीं थे। नए नियमों के तहत स्वतंत्रता सेनानियों की उन विधवा, तलाकशुदा पुत्रियां और पौत्रियां को सरकारी नौकरी मिल पाएगी, जो दोबारा मायके में रह रही हो।
आर्थिक तौर पर भी मां-बाप या स्वतंत्रता सेनानी परिवार पर निर्भर करते हों। सरकार ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि इन आदेशों का पालन किया जाए। इससे पहले 1985 की अधिसूचना के मुताबिक स्वतंत्रता सेनानियों के पुत्र और उसके परिवार को ही सरकारी नौकरी के लिए तर्कसंगत माना गया था।
143 लाभार्थी
जुलाई 2010 में राज्य स्वतंत्रता सेनानी कल्याण बोर्ड की बैठक में इस प्रकार का मामला सामने आया था कि सामाजिक परिस्थितियों के कारण स्वतंत्रता सेनानी परिवारों पर निर्भर पुत्रियों और पौत्रियों को नौकरी का संकट पैदा हो गया है। जिससे वह जीवन यापन में मुश्किल का सामना कर रही हैं।
वर्तमान में प्रदेश में 143 स्वतंत्रता सेनानी लाभार्थी हैं। समय के साथ-साथ राज्य में स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। सचिव सामान्य प्रशासन अजय भंडारी ने कहा कि भविष्य में सरकारी क्षेत्र में जो भी नियुक्तियां होंगी उनके लिए स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रित पात्र होंगे। इसमें पुत्रियां व पौत्रियां भी शामिल होंगी जो नियमों के दायरे में आएंगी(दैनिक भास्कर,शिमला,7.11.2010)।
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