सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों में माध्यमिक शिक्षा मुहैया कराने के लिए 3108 स्कूलों को माध्यमिक स्तर पर क्रमोन्नत किया। इन विद्यालयों में पद और भौतिक संसाधन उपलब्ध कराने के लिए इन्हें राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान से जोडा गया। विद्यालयों के लिए बजट केन्द्र सरकार की ओर से 75 प्रतिशत आना था, लेकिन वह अभी तक नहीं मिला। तीन साल बाद भी अभी तक इन स्कूलों में शिक्षकों के पद नहीं दिए गए हैं। जिससे अघिकांश स्कूलों में बच्चों की पढाई चौपट हो रही है। बावजूद इसके न तो केन्द्र सरकार और न ही राज्य की सरकारें इसके लिए कोई ठोस कदम उठा रही हैं।
समानीकरण से हुआ नुकसान
समानीकरण से पहले इन स्कूलों में प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षक ही कक्षा 9 और 10 को पढाते थे। समानीकरण के दौर में अघिकांश विद्यालयों से प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षकों
को हटा दिया गया। अब ये विद्यालय न तो प्रारंभिक शिक्षा के रहे न ही माध्यमिक शिक्षा विभाग के। विभाग इन विद्यालयों में तीन साल बाद भी पद आवंटित नहीं कर सका है। जबकि यहां शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षा पूरी तरह बाघित हो रही है।
सिर्फ प्रधानाध्यापक का पद
प्रदेश के इन 3108 स्कूलों में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सिर्फ प्रधानाध्यापक का पद ही दिया है। जबकि माध्यमिक विद्यालयों में पढाने के लिए कम से कम 5 वरिष्ठ अध्यापक तो होने ही चाहिए। केन्द्र और राज्य सरकार के बीच तालमेल नहीं होने से इन विद्यालयों में पढने वाले विद्यार्थियों की पढाई चौपट हो रही है। यहां अब आठवीं तक के शिक्षक भी नहीं मिल रहे हैं।
प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षकों को लगाया
जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, वहां शिक्षण व्यवस्थार्थ प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षक ही लगाए जा रहे हैं। करीब 2 हजार स्कूलों में हमने प्रधानाध्यापक भी लगाए हैं। कुछेक स्कूलों में प्रधानाध्यापक नहीं लगे हैं-भास्कर.ए.सावंत, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा
सरकार को शिक्षा के ढांचे को सुधारने के लिए स्कूल क्रमोन्नत करते समय ही उसमें शिक्षकों के पद भी स्वीकृत करने चाहिए। जिस वर्ष सरकार नई भर्तियां नहीं कर सके उस वर्ष सरकार को स्कूल क्रमोन्नत नहीं करने चाहिए। तीन साल में स्कूलों में शिक्षक नहीं मिलने से बच्चों की पढाई प्रभावित हो रही है-महेन्द्र पाण्डे, महामंत्री, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
(मोहित शर्मा,राजस्थान पत्रिका,जयपुर,4.11.2010)
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