इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने विकलांगों व दृष्टिबाधितों को राहत देने वाला फैसला सुनाया है। अदालत ने सरकारी व अर्द्धसरकारी नियुक्तियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा पहले विकलांगों को नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था के तहत भर्ती करें। जब तक विकलांगों को आरक्षण नहीं मिलता तब तक राज्य सरकार अन्य भर्तियां नहीं कर सकती। आदेश की अवहेलना कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। मामले की अगली सुनवाई तीन मार्च 2011 को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह और न्यायमूर्ति बीके दीक्षित की पीठ ने नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड्स की ओर से प्रस्तुत याचिका को स्वीकार करते शुक्रवार को दिया। अदालत ने इसके लिए प्रदेश सरकार को तीन माह का समय दिया है। कोर्ट ने कहा है कि दो माह में विकलांगों की बैकलॉग सीटों को चिह्नित करे सरकार। एक माह में विकलांगों का कोटा भरने की कार्यवाही पूरी की जाए। पीठ ने विकलांगों को सरकारी सेवा में मिलने वाले तीन फीसदी आरक्षण को लागू करने की बात कही है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से प्रमुख सचिव कार्मिक कुंवर फतेह बहादुर व प्रमुख सचिव विकलांग कल्याण आरपी सिंह मौजूद थे। दोनों ने अदालत को बताया कि विकलांगों को आरक्षण के मामले में सरकार कार्यवाही कर रही है।
नहीं मिला आदेश
हाईकोर्ट द्वारा सरकारी व अर्द्धसरकारी नियुक्तियों पर रोक लगाने संबंधी फैसले पर प्रमुख सचिव नियुक्ति फतेह बहादुर सिंह ने कहा कि सरकारी नियुक्तियों पर रोक से संदर्भ में उच्च न्यायालय का आदेश अभी शासन को प्राप्त नहीं हुआ है। आदेश मिलने पर उसका परीक्षण करा कर उचित कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर विकलांग विभाग सभी सरकारी महकमों से इस बात का आंकड़ा जुटाने में लगा हुआ है कि विकलांगों के कहां कितने पद रिक्त हैं। उन रिक्त पदों में से किन पदों पर किस श्रेणी के विकलांगों को नियुक्त किया जाना है, इस पर अभी फैसला होना है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में 34 लाख 53 हजार 369 विकलांग हैं जो कि प्रदेश की कुल जनसंख्या का 2.08 प्रतिशत हैं। इनमें से सर्वाधिक 18 लाख 52 हजार विकलांग दृष्टिबाधित हैं जबकि नौ लाख 30 हजार 580 की संख्या शारीरिक रूप से विकलांगों की है। 2.86 लाख व्यक्ति मानसिक रूप से विकलांग हैं। दो लाख 55 हजार 951 की संख्या पूरी तरह से मूक-बधिर विकलांगों की है तो एक लाख 28 हजार 303 श्रवण विकलांग हैं। राज्य सरकार को विभिन्न विभागों में विकलांगों के लिए आरक्षित पदों में से इनकी श्रेणियों के अनुसार नियुक्तियां तय करना है(दैनिक जागरण,लखनऊ,२७.११.2010)।
नहीं मिला आदेश
हाईकोर्ट द्वारा सरकारी व अर्द्धसरकारी नियुक्तियों पर रोक लगाने संबंधी फैसले पर प्रमुख सचिव नियुक्ति फतेह बहादुर सिंह ने कहा कि सरकारी नियुक्तियों पर रोक से संदर्भ में उच्च न्यायालय का आदेश अभी शासन को प्राप्त नहीं हुआ है। आदेश मिलने पर उसका परीक्षण करा कर उचित कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर विकलांग विभाग सभी सरकारी महकमों से इस बात का आंकड़ा जुटाने में लगा हुआ है कि विकलांगों के कहां कितने पद रिक्त हैं। उन रिक्त पदों में से किन पदों पर किस श्रेणी के विकलांगों को नियुक्त किया जाना है, इस पर अभी फैसला होना है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में 34 लाख 53 हजार 369 विकलांग हैं जो कि प्रदेश की कुल जनसंख्या का 2.08 प्रतिशत हैं। इनमें से सर्वाधिक 18 लाख 52 हजार विकलांग दृष्टिबाधित हैं जबकि नौ लाख 30 हजार 580 की संख्या शारीरिक रूप से विकलांगों की है। 2.86 लाख व्यक्ति मानसिक रूप से विकलांग हैं। दो लाख 55 हजार 951 की संख्या पूरी तरह से मूक-बधिर विकलांगों की है तो एक लाख 28 हजार 303 श्रवण विकलांग हैं। राज्य सरकार को विभिन्न विभागों में विकलांगों के लिए आरक्षित पदों में से इनकी श्रेणियों के अनुसार नियुक्तियां तय करना है(दैनिक जागरण,लखनऊ,२७.११.2010)।
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