केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति राज्य कर्मचारियों को अब तक सुविधा और ग्रेड क्यों नहीं मिल रही?
- केन्द्रीय कर्मचारियों को 1900, 2400, 4200, 4800 और चार साल बाद 5400 और 6600 ग्रेड मिलता है। राज्य सरकार के कर्मचारियों को इस ग्रेड में नहीं रखा गया और ग्रेड को बदल दिया गया। केन्द्र सरकार के बराबर ग्रेड देने से राज्य सरकार ने मना कर दिया। लिपिक का पदनाम भी बदल दिया गया। सारी समस्याओं को 11 नवंबर को वेतन समिति के चेयरमैन एसए रिजवी और वित्त सचिव अजय अग्रवाल के पास बैठक में रखा गया है। जल्द ही मुख्य सचिव से इस संबंध में वार्ता होगी।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की समस्याओं के हल के लिए संगठन क्या कर रहा है?
-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की संख्या पूर्व से डेढ़ लाख और बाद में आठ हजार भर्ती और की गई। इनको छठा वेतनमान सरकार द्वारा दिया गया। इसका संगठन ने स्वागत किया। इनको एक जनवरी 2006 की बजाय तत्काल प्रभाव से ग्रेड पे दिया गया। इसकी भी शिकायत की गई है। इन्हें भी एक जनवरी 2006 से ग्रेड पे दिलाने का प्रयास होगा।
संविदा, वर्कचार्ज और दैनिक वेतनभोगियों की छंटनी और वेतन के मामले पर संगठन क्या कर रहा है?
- संगठन के प्रयास से 22 जुलाई को सरकार ने शासनादेश जारी किया है कि सभी कर्मचारियों को नियमित कर दिया जाय। 24 जून 1991 तक भर्ती किये कर्मियों को इसमें नियमित किया जायेगा। संगठन के प्रयास से सरकार ने बाद में रास्ता निकाला कि विभाग मृतक आश्रित के आधार पर होने वाली प्रक्रिया को अपनाकर अधिसंख्य पदों पर इन्हें समायोजित कर ले और इसकी सूची वित्त विभाग को दें। 1991 के बाद भर्ती किए गए कर्मचारियों के लिए भी सरकार से मांग की गई है कि उन्हें भी नियमित किया जाय। आखिर इन्हें भी अधिकारियों द्वारा ही भर्ती किया गया था।
महंगाई से राज्य कर्मचारी कितने प्रभावित है। क्या ऐसा नहीं लगता कि सरकार एक हाथ से देकर दूसरे हाथ से कर्मचारियों से वसूल रही है?
-हां, ऐसा ही है राजनीतिक कारणों से महंगाई के बारे में अध्ययन नही किया। चड्ढा कमेटी और प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर मैने मंहगाई सर्वे के तरीकों और खामियों को बताया था। कर्मचारियों के टैक्स कोड में ही तमाम खामियां हैं। पेंशन नीति में कर्मचारी कहां तक सुरक्षित हैं। -सरकार की पेंशन नीति निजी कंपनियों के हाथों में खेल रही है। इंडेक्स में उनके उतार-चढ़ाव से पेंशन की राशि तय होगी(दैनिकजागरण,इलाहाबाद,18.11.2010)।
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