आज नितांत आवश्यक है कि हिन्दी के रथ को आगे बढ़ाया जाए और उसे वांछित गति दी जाए। इसके लिए हमें हिन्दी भाषा पर अपनी स्वाभिमान चेतना का सभी प्रान्तों में प्रसार करना होगा। हिन्दी भाषा अधिक विज्ञान सम्मत है। इसका उच्चारण अनुरूप लेखन है। आज की हिन्दी पहले की तुलना में मात्र 42 वर्ण वाली होने से (स्वर, व्यंजन) अधिक संक्षिप्त व टंकण मुद्रण में अधिक द्रुत गति वाली है। इसे कई प्रतियोगिताओं के परिणामों से सिद्ध किया जा चुका है। अंग्रेजी व यूरोपीय भाषाओं में कैपिटल वर्णों के अनिवार्य प्रयोग के कारण उनके वर्णाे की संख्या अधिक हो गई है। इनमें नदी या पहाड़ के आगे ’द‘ जैसे प्रत्यय लगाना आवश्यक है जबकि हिन्दी में इसकी जरूरत नहीं है। दुनिया में 70-80 करोड़ लोग हिन्दी बोलने वाले है। भारत के अलावा नेपाल, बर्मा, श्रीलंका, पाकिस्तान, फीजी, रूस, मॉरीशस, सूरीनाम तथा दक्षिण अफ्रीका में लाखों प्रवासी हिन्दी भाषी है। अत: दुनिया में जहां कहीं भी हिन्दी के लिए कामकाज हो रहा है, उन्हें हमें एक सूत्र में बांधना होगा, एकबद्ध करना होगा। हिन्दी के रथ को आगे बढ़ाने के लिए हर दिशा में प्रयास करना होगा। हमको ज्ञात होना चाहिए कि टोनी ब्लेयर व बिल गेट्स जैसे लोग हिन्दी में अन्तरराष्ट्रीय भाषा बनने की सामथ्र्य मानते है। यह हमारे लिए स्वाभिमान की बात है। बिल गेट्स ने भारत यात्रा के दौरान लगभग 2000 करोड़ रुपये की निवेश की घोषणा की थी। यह उन्होंने भारतीय भाषाओं की कम्प्यूटरिंग में आधारभूत संरचना को विकसित करने के लिए की। इसके तहत प्रोजेक्ट भाषा और प्रोजेक्ट शिक्षा को चलाया जाएगा। हिन्दी की महती आवश्यकता को पहचानते हुए अमेरिका में हिन्दी के लिए बड़ी राशि खर्च किए जाने की योजना है। वह दिन दूर नहीं जब अमेरिका के प्रोफेसर हिन्दी सिखाने का कार्य करेंगे और शुभप्रभात और नमस्ते बोलते सुनाई देंगे। पेरिस विश्वविद्यालय में हिन्दी विषय पढ़ने वाले छात्रों की संख्या चौगुना हो गई है। दुनिया के दूसरे स्वतंत्र देशों में हिन्दी पठन-पाठन का विस्तार होना अवश्यंभावी है। हिन्दी के रथ को आगे बढ़ाने के लिए हमें चीन से शिक्षा लेनी होगी। चीन की स्थिति भी कुछ वष्राे पहले हमारी भाषाओं जैसी थी पर अब वहां सारे साइंस प्राविधिक ज्ञान चीनी भाषा में पढ़ाए जाते है। हरेक शिक्षण संस्था में अनुवाद ब्यूरो होता है। जो एक महीने के भीतर 500 पृष्ठ के बड़े पोथे को अनुवाद कर साइक्लोस्टाइल पर यथेष्ठ संख्या में कॉपियां दे देता है। रूस में हिन्दी की लोकप्रियता में फिल्मों का महत्व बढ़ा है। फिल्म संगीत भी हिन्दी के रथ को बढ़ाने का माध्यम बना है क्योंकि भाषा से ही विचारों की सशक्त अभिव्यक्ति होती है। रूस में किसी विद्वान ने कहा कि हमें हिन्दी की बहुत आवश्यकता है। ठीक वैसे ही जैसे किसी को हवा की आवश्यकता होती है। हिन्दी की विकास यात्रा मातृभाषा के साथ-साथ मित्र भाषा-भाषी के रूप में भी हो रही है(डॉ. धृति नेमा,राष्ट्रीय सहारा,5.11.2010)।
रथ राजमार्ग पर चला करते हैं, वे लोगों के दिलों में यात्रा नहीं करते। हि्दी रथ पर चलेगी तो सिर्फ राजमार्ग से गुजर जाएगी। हिन्दी को विश्वयात्रा करनी है तो आम-जन के वाहन पर बैठ कर करनी होगी।
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