एक जनवरी से राजधानी के छोटे-बड़े दो हजार पब्लिक स्कूलों में शुरू हो रहे नर्सरी दाखिले के लिए जितने परेशान अभिभावक हैं, उससे कम दिल्ली सरकार भी नहीं है। ऐसा इस लिए क्योंकि नर्सरी दाखिले के दौरान राजधानी में अफरातफरी की स्थिति बन जाती है। पब्लिक स्कूलों को सही रास्ते पर लाने के लिए हर साल दिल्ली सरकार दिशा-निर्देश जारी करती है, लेकिन पब्लिक स्कूल उन्हें रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं। इससे ही दिल्ली सरकार को खासी परेशानी हो रही है। इस साल भी दिल्ली सरकार ने नर्सरी दाखिले के लिए तिथियों की घोषणा करने के साथ स्पष्ट कर दिया है कि दाखिले पूरी तरह से पारदर्शी होंगे और इस नजर रखने के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी। शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि राजधानी के अभिभावकों को नर्सरी दाखिले में कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। दिशा-निर्देश के उल्लंघन करने पर स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। सरकार किसी भी स्कूल को मनमर्जी नहीं करने देगी और ऐसा होता है तो कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट कर दिया है कि नर्सरी दाखिले लॉट्ररी सिस्टम से हों या प्वाइंट सिस्टम से, लेकिन एक बात तो तय है कि इस बार स्कूलों की मनमर्जी पर लगाम जरूरी लगेगी। सरकार बेहद सख्त है और नर्सरी दाखिले में बच्चों से बच्चों से ए फॉर एप्पल भी पूछना गुनाह की लिस्ट में शामिल कर दिया गया है। इतना ही नहीं स्कूल प्रशासन बच्चे के अभिभावक से भी न तो उसकी शिक्षा जानेगा और न ही उसकी आय। ऐसा करना भी गलत होगा। अगर इस तरह का मामला सामने आता है तो स्कूल पर तुरंत कार्रवाई होगी। बीते साल भी नर्सरी दाखिले पर नजर रखने व कानूनी कार्रवाई करने के लिए दिल्ली सरकार ने पूर्व अतिरिक्त शिक्षा निदेशक आर.के. शर्मा के नेतृत्व में छह सदस्यीय कमेटी बनाई थी। निदेशालय का साफ तौर कहना है कि स्कूल वाले हरकतों से बाज आएं अन्यथा कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें(दैनिक जागरण,दिल्ली,30.11.2010)।
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