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10 नवंबर 2010

इलाहाबादः सवालों की रातें, जवाबों के दिन

प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के तमाम कीर्तिमान स्थापित कर चुके इलाहाबाद का माहौल फिर एक बार संजीदा हो चुका है। छात्रावास हों या फिर डेलीगेसी, सभी जगहों पर पूरी तनमयता के साथ छात्र-छात्राएं किताबों में डूबे देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं चंद्रशेखर आजाद पार्क और राजकीय पुस्तकालयों का माहौल भी पूरी तरह से बदला हुआ है। सुबह से शाम तक छात्र यहां पहुंच रहे हैं। पढ़ाई में ये इतने मशगूल हैं कि देश दुनिया को पूरी तरह से भूल चुके हैं। इन्हें ध्यान है तो बस 29 नवम्बर को पीसीएस मुख्य परीक्षा की तिथि और अपना पाठ्यक्रम। अर्जुन की तरह सभी अपने लक्ष्य की ओर ध्यान लगाए हैं। परीक्षा की तैयारी में जुटे बरेली से आये रघुवीर सिंह का कहना है कि इलाहाबाद में प्रतियोगी परीक्षाओं का ऐसा माहौल है कि इमानदारी से मेहनत करने वालों को जरूरत सफलता मिलती है। विपुल पवार सुबह से शाम तक अपने कमरे में बंद रहते हैं। देर शाम थोड़ी देर के लिए बाजार के लिए निकलते हैं फिर भोजन आदि का बंदोबस्त कर पढ़ाई में जुट जाते हैं। देर रात तक यह सिलसिला चलता रहा है। प्रतापगढ़ से आये दिनेश पांडेय का कहना है कि अभी वे पूरा ध्यान परीक्षा में लगाये हुए हैं। उसके बाद ही दोस्तों से मिलने-जुलने का सिलसिला शुरू होगा। अभी तो यदा-कदा जो मित्र उनके कमरे पर पहुंचते भी हैं तो सवाल-जवाब का ही क्रम जारी रहता है। विश्वविद्यालय से सम्बद्ध छात्रावास हालैंडहाल, अमरनाथ झा, हिन्दू हास्टल, सर सुंदर लाल, गोल्डेन जुबली, ताराचंद सहित महिला छात्रावासों का भी माहौल पूरी तरह से बदला हुआ है। सभी वरिष्ठ छात्र जिन्हों ने प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली है पूरे मनोयोग से मुख्य परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं। इसमें छात्रावास के जूनियर छात्र भी पूरा सहयोग कर रहे हैं। छात्रावासों और डेलीगेसी के प्रतियोगी छात्रों ने तो दीपावली पर भी घर जाना मुनासिब नहीं समझा। मुख्य परीक्षा की तैयारी में लगी प्रतिमा का कहना है कि यदि वे घर जातीं तो लगभग एक सप्ताह का समय खराब चल जाता। अब परीक्षा की घड़ी निकट है। एक-एक दिन कीमती है(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,10.11.2010)।

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