अस्थायी या अंशकालिक वेतनभोगी कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति के दावे पर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण [कैट] ने एक अहम फैसला दिया है। कैट ने कहा है कि ऐसा कर्मी महज इस आधार पर स्थायी नियुक्ति का दावा नहीं कर सकता कि उसने उस निर्धारित सेवा अवधि के बाद भी काम किया है जिसके लिए उसकी नियुक्ति हुई थी।
एम. छिब्बर और ए.के. मिश्र की कैट पीठ ने अपने फैसले में कहा, 'महज इस आधार पर कि एक अस्थायी या अंशकालिक वेतनभोगी कर्मी अपनी नियुक्ति की शर्त की अवधि के बाद भी काम करता रहा, वह नियमित सेवा में शामिल होने या स्थायी होने का अधिकारी नहीं हो जाता।'
कैट ने यह फैसला सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस महानिदेशालय के एक अस्थायी कर्मी उमराव सिंह रावत की याचिका पर सुनाया। रावत ने अपनी सेवा नियमित करने की मांग की थी। अपनी याचिका में रावत ने कहा था कि संतोषजनक काम होने के बाद भी निदेशालय ने बगैर कोई नोटिस दिए अचानक उनकी सेवा समाप्त कर दी। निदेशालय का कहना था कि सेवाओं की जरूरत नहीं होने के कारण रावत का अस्थायी कर्मचारी का दर्जा वापस ले लिया गया। अनुबंध पर होने के कारण वह अपनी सेवा नियमित करने का दावा अधिकार पूर्वक नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था का हवाला देते हुए कैट ने कहा कि अंशकालिक कर्मी स्थायी नियुक्ति के अधिकार का दावा नहीं कर सकता(दैनिक जागरण,दिल्ली,17.11.2010)।
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