प्रदेश सरकार की बाल वैज्ञानिकों को तराशने के प्रयोग की पूरी तरह से हवा निकल गई है। लाख प्रयासों के बावजूद इंटर कालेजों में बाल वैज्ञानिक ढ़ूंढ़े नहीं मिल रहे, या यूं कहें कि विज्ञान के अध्यापक बच्चों की प्रतिभा को इस मंच तक पहुंचा नहीं पा रहे हैं। नतीजा यह है कि जिले के कुल 286 इंटर कालेजों में से मात्र छह कालेजों ने ही मॉडल प्रस्तुतिकरण के लिए पंजीकरण कराया है। इससे बाल वैज्ञानिक तैयार करने के दावे की हकीकत खुलकर सामने आ रही है।
जिले में 10 नवंबर को आरजेपी इंटर कालेज में बाल विज्ञान सम्मेलन आयोजन किया जाएगा। प्रतियोगिता में जिले के सभी इंटर कालेजों से टीम बनाकर प्रतिभाग करने के लिए कहा गया था, लेकिन स्कूलों में शिक्षा की हालत यह है कि कालेज अपने यहां से एक टीम तो दूर एक स्टूडेंट भी मॉडल प्रजेंटेशन के लिए नहीं भेज पा रहे हैं। जिले में कुल 286 इंटर कालेज हैं। इनमें 73 सहायता प्राप्त कालेज,17 राजकीय इंटर कालेज तथा 196 वित्तविहीन कालेज हैं। इनमें से कुल छह कालेज ही विज्ञान प्रदर्शनी में हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे में बाल वैज्ञानिक तराशने की सरकारी मुहिम को जोर का झटका लगा है। हालांकि विभाग के लिए यह कोई नई बात नहीं। बीते साल भी इतने ही कालेजों ने मॉडल प्रजेंटेशन में हिस्सा लिया था। ऐसे में शिक्षा विभाग भी सरकारी आदेशों का पालन कर खानापूर्ति करने में लगा है।
इस संबंध में मॉडल प्रतियोगिता के संयोजक तथा आरजेपी इंटर कालेज के प्रधानाचार्य राजकुमार त्यागी ने बताया कि मॉडल प्रतियोगिता के दिन तक संख्या बढ़ सकती है। कालेजों के इस हाल पर जिला विद्यालय निरीक्षक शशि देवी शर्मा ने बताया कि कालेजों से प्रतिभागिता सुनिश्चित कराने के लिए कहा गया है। आदेश को हवा में उड़ाने पर कार्रवाई की जा सकती है(दैनिक जागरण संवाददाता,बिजनौर,8.11.2010)।
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