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29 नवंबर 2010

बिहारःशिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया अंतिम चरण में

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में प्रशिक्षण प्राप्त 34,540 शिक्षकों को नियुक्त करने की प्रक्रिया अब अंतिम दौर में है। लगभग दो दशक से प्रशिक्षण प्राप्त कर सरकारी नौकरी की चाह में जहां-तहां निजी संस्थानों में गुजर-बसर कर रहे लोग सही वक्त के इंतजार में थे, उनकी तमन्ना अब पूरी होने को है। राज्य सरकार ने नियोजन के लिए उपयुक्त पाये गये उम्मीदवारों के दावों की समीक्षा कर उनकी वरीयता सूची सर्वोच्च न्यायालय व याचिकाकर्ता को उपलब्ध करा दी है। अदालत ने इसके लिए 30 नवंबर अंतिम तिथि मुकर्रर की थी। इसपर अदालत में 7 दिसंबर को सुनवाई होनी है। वहां से हरी झंडी मिलते ही नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा। अदालत ने सरकार को इन शिक्षकों को सरकारी वेतनमान में नियुक्त करने का निर्देश दे रखा है। यह भी आदेश हुआ कि उनकी शिक्षक प्रशिक्षण में वरीयता ही उनकी नियुक्ति का आधार बनेगा। उसके आलोक में विभाग ने वरीयता सूची तैयार करने का दायित्व कर्मचारी चयन आयोग को सौंपा। नियुक्ति का दावा करने वालों को साक्ष्य के साथ अपना आवेदन आयोग में जमा करने को कहा गया। विभाग ने जो नियुक्ति नियमावली बनायी है उसके मुताबिक सरकारी वेतनमान पर सामान्य विषय, उर्दू व शारीरिक शिक्षा विषय के शिक्षकों की यह नियुक्ति आखिरी बार होगी। विभाग पूर्व में ही उर्दू तथा शारीरिक प्रशिक्षण पद की वरीयता सूची भेज चुका था(दैनिक जागरण,पटना,29.11.2010)।
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प्रभात खबर की रिपोर्टः
नयी सरकार के गठन के साथ ही नियुक्ति-नियोजन की प्रक्रिया तेज होगी. कल 45 हजार सिपाहियों की बहाली की घोषणा के बाद अब द्वितीय चरण में चयनित 70 हजार प्राथमिक शिक्षकों का इंतजार जल्द खत्म होगा.

नियोजन प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर अगस्त, 2010 के अंतिम सप्ताह में मानव संसाधन विकास विभाग ने इनके नियोजन पत्र के वितरण पर रोक लगा दी थी.इसके बाद आचार संहिता लग जाने के कारण नियोजन प्रक्रिया को शुरू करने संबंधी आदेश जारी नहीं हो सका.

नयी सरकार के गठन के साथ ही आचार संहिता खत्म हो गयी है. विभाग के आलाधिकारियों के अनुसार नियोजन प्रक्रिया शुरू करने के लिए जल्द ही आदेश जारी को सकता है.दो दिसंबर से बैठकदो दिसंबर से शुरू होनेवाली जिला शिक्षा अधीक्षकों की तीन दिवसीय बैठक में नियोजन से संबंधित दिशा-निर्देश जारी होने की संभावना है.

इन शिक्षकों को नौ अगस्त से 14 अगस्त, 2010 तक नियोजन पत्र निर्गत कर देना था. इस बीच पूरे राज्य से नियोजन प्रक्रिया में व्यापक धांधली की शिकायतें विभाग को मिलीं. विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने तत्काल नियोजन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी.

समयसीमा के अंदर 70 हजार में 15 हजार से भी कम प्राथमिक शिक्षकों को नियोजन पत्र दिया गया था. विभाग ने भी माना था कि मुखिया, प्रखंड प्रमुख व सरकारी पदाधिकारियों की मिलीभगत से नियोजन पत्र समय पर वितरित नहीं हो सके थे.

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