राजधानी के स्कूलों में शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीइ) का पालन न किए जाने की शिकायत पर बाल आयोग ने सभी स्कूलों को सर्कुलर जारी किया है। आयोग ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि सत्र 2011-12 की नर्सरी दाखिला प्रक्रिया के समय वे शिक्षा के अधिकार कानून का ध्यान रखें। स्कूलों में प्रस्तावित सीट व उसमें लिए गए बच्चों के दाखिला संबंधी आंकड़े भी आयोग को उपलब्ध कराएं।
इस वर्ष अप्रैल से राजधानी में शिक्षा का अधिकार कानून लागू हो चुका है। इसके तहत कोई भी स्कूल छात्रों को दाखिला लेने से इनकार नहीं कर सकता। दाखिले के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट आदि भी कानून के उल्लंघन के अंतर्गत आता है। कानून लागू हो जाने के बावजूद राजधानी के कई स्कूल प्रबंधन इसे नहीं मान रहे हैं। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) में सैकड़ों शिकायतें आ रही हैं।
इस स्थिति के मद्देनजर डीसीपीसीआर ने स्कूलों को सर्कुलर जारी किया है। उसमें प्रधानाध्यापक व स्कूल प्रबंधकों से कहा गया है कि स्कूल में कक्षा एक के अतिरिक्त यदि वहां प्री स्कूल, नर्सरी व प्री नर्सरी कक्षाएं चलाई जा रही हैं, तो इसकी भी जानकारी वे आयोग को दें। इसके अलावा इस सत्र में इन कक्षाओं के लिए उन्होंने कितने बच्चों का प्रस्ताव रखा है, इसकी भी सूचना स्कूलों को उपलब्ध करना होगा।
सर्कुलर में आरटीई के विशेष प्रावधानों का भी उल्लेख किया गया है। उसका पालन गैर सहायता प्राप्त व मान्यता प्राप्त स्कूल सहित दिल्ली के अन्य स्कूलों को करना है। आयोग के अध्यक्ष आमोद कंठ का कहना है कि शिक्षा के अधिकार के तहत सभी स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीट आरक्षित रखने का प्रावधान है। स्कूल प्रबंधन इस नियम का सबसे ज्यादा उल्लंघन कर रहे हैं(दैनिक जागरण संवाददाता,दिल्ली,25.11.2010)।
थोड़े और अधिकारी बढ़ेंगे.. थोड़ी और खरीद फरोख्त होगी.. थोड़ा और अधिकारियों के दिन बहुरेंगे.. लेकिन शिक्षा और सबको! मृगतृष्णा
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