केन्द्रीय विद्यालय हो या नवोदय विद्यालय या फिर केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, सभी ने अपने छात्रों के लिए जर्मन भाषा की पढ़ाई शुरू कर दी है। स्कूलों में हुई इस शुरुआत का परिणाम यह आने वाला है कि अब देशभर में एकाएक जर्मन भाषा के योग्य शिक्षकों की मांग जोर पकड़ेगी। एक अनुमान के अनुसार आने वाले सालों में देश को10 हजार से ज्यादा प्रशिक्षित जर्मन शिक्षकों की जरूरत होगी।
इसी जरूरत को पूरा करने के लिए अब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने कदम बढ़ाया है और जर्मन भाषा में विशेष डिप्लोमा पाठय़क्रम की शुरुआत की है। डिप्लोमा इन टीचिंग जर्मन एज ए फॉरेन लैंग्वेज नामक यह पाठय़क्रम इग्नू की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नवम्बर से शुरू हो गया है। इस पाठय़क्रम में मुख्य साङीदार की भूमिका में जर्मन डिपार्टमेंट ऑफ यूनिवर्सिटी ऑफ वियाना, मैक्समूलर भवन (गोइटे इंस्टीट्यूट), नई दिल्ली शामिल है। यह तीनों ही संस्थान मिलकर 340 छात्रों को जर्मन भाषा में निपुण बनाने जा रहे हैं।
क्या है खास
इग्नू की ओर से इस पाठय़क्रम की कोर्स कोऑडिनेटर स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेज की प्रो. रेनू भारद्वाज ने बताया कि इस पाठय़क्रम की सबसे बड़ी विशेषता है इसे बेहद गम्भीरता के साथ तीनों ही सहयोगियों के द्वारा तैयार किया जाना। पाठय़क्रम में जहां यूरोपियन पाठय़क्रम को महत्त्व देकर इसे ग्लोबल बनाया गया है, वहीं दूसरी ओर इसमें भारतीय शिक्षकों को तैयार करने के लिए भी यहां के ट्रेनिंग मैथेड को इस्तेमाल किया गया है, ताकि शिक्षक तमाम पेचीदगियों को समझ सकें।
अन्य पाठ्यक्रमों से क्यों है अलग
यह कोर्स इग्नू की ओर से उपलब्ध अन्य पाठय़क्रमों से ही नहीं, बल्कि देशभर में जर्मन भाषा से संबंधित अपनी ही तरह का पहला पाठय़क्रम है। इस पाठय़क्रम में दूरस्थ शिक्षा से परे प्रायोगिक कक्षाओं को अहमियत दी गई है। इन कक्षाओं के लिए विशेषतौर पर छात्रों को 60 घंटे के लिए जर्मन भाषा पढ़ा रहे स्कूलों में ट्रेनिंग के लिए भेजा जायेगा। इसी ट्रेनिंग के आधार पर छात्रों को ग्रेडिंग दी जाएगी और उसके मुताबिक ही तय होगा कि आखिर शिक्षक किस हद तक जर्मन भाषा में निपुण है।
शैक्षणिक योग्यता
इस पाठयक्रम को करने के लिए आवेदन की शैक्षणिक योग्यता भी अहम है। इसे करने के इच्छुक छात्र को ग्रेजुएट होने के साथ-साथ जर्मन भाषा में बी-वन स्तर का ज्ञान होना जरूरी है। इसके बिना इस पाठयक्रम में दाखिला सम्भव नहीं है। पाठयक्रम के लिए निर्धारित न्यूनतम अवधि एक साल है, जबकि अधिकतम तीन साल। यानी छात्र इसे एक से तीन साल के भीतर पूरा कर सकता है।
कहां-कहां है उपलब्ध
यह पाठयक्रम देश के छह बड़े शहरों में उपलब्ध है। इनमें दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलूरू व पुणे के नाम शामिल हैं। पायलट प्रोजेक्ट के लिए भी सभी 340 छात्रों का चुनाव इन्हीं शहरों से किया गया है। पाठयक्रम के लिए छह हजार रुपये की फीस निर्धारित की गई है।
पाठ्यक्रम का भविष्य
कोर्स कोऑर्डिनेटर प्रो. रेनू भारद्वाज ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस प्रयास को अंजाम दिया जा रहा है और फिर इसका फिर से रिव्यू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हमारी कोशिश रहेगी कि अगले सत्र की शुरुआत 2012 में हो और न सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक इसका विस्तार किया जाये।
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, मैदानगढ़ी, दिल्ली
वेबसाइट- www.ignou.ac.in
(पायल,हिंदुस्तान,23.11.2010)
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