विदेशों में नौकरी दिलाने का सब्जबाग दिखाकर बेरोजगारों को ठगने वाले गिरोह का गाजीपुर थाने की पुलिस ने बुधवार को भंडाफोड़ किया। गिरोह के सरगना समेत तीन जालसाजों को गिरफ्तार किया गया है। जालसाजी का मास्टर माइंड दुबई में बैठा है। पुलिस अन्य जालसाजों की तलाश कर रही है। इंदिरानगर स्थित मुरारी यादव काम्पलेक्स में डीसीए के नाम से फर्म खोलकर जालसाजी किये जाने की जानकारी पुलिस को मिली। गाजीपुर थाने के एसओ संजय राय की टीम ने दबिश देकर फर्म के मैनेजिंग डायरेक्टर राघवेंद्र मणि त्रिपाठी, उनके साथी रमन सिंह और संतोष नायक को गिरफ्तार कर लिया। राघवेंद्र और संतोष बस्ती जिले के रहने वाले हैं जबकि रमन सुल्तानपुर का निवासी है। फर्म के कार्यालय से 22 पासपोर्ट, 16 एटीएम कार्ड, एक होंडा सिटी कार और तीन जाली सीडीसी (कान्टीनुअस डिस्चार्ज सर्टिफिकेट) बरामद हुआ है।
पूछताछ में सामने आया कि राघवेन्द्र मर्चेन्ट नेवी में कार्यरत था। उसने वर्ष 2001 से 2005 तक विभिन्न देशों में जहाज पर नौकरी की। उसने जाना कि सीडीसी एक राष्ट्रीय दस्तावेज है। इसे शिपिंग कार्पोरेशन जारी करता है। इसमें नौकरी करने वाले व्यक्ति की प्रोफाइल दर्ज होती है। दुबई के अलावा पूरे विश्व में वेबसाइट पर सीडीसी दिखायी दे जाती है। भारतीय वेबसाइट दुबई में नहीं खुलती लिहाजा यह बेरोजगारों को जाली सीडीसी जारी कर दुबई भेज देता था। वहां भारतीय वेबसाइट खुलती नहीं है लिहाजा सीडीसी की चेकिंग नहीं होती है। दुबई में मौजूद सोनू मिश्रा नाम का शख्स जाली दस्तावेजों से भेजे गए युवक को शिपिंग में नौकरी पर रखवा देता था। इसके एवज में यह लोग ढाई से तीन लाख रुपये लेते थे। वर्ष 2005 में नौकरी छोड़कर आने के बाद राघवेन्द्र ने एक फर्जी प्लेसमेंट एजेंसी तैयार की और टीसीए कम्पनी की फ्रेंचाइजी लेने की बात कहकर इंदिरानगर में कार्यालय खोल दिया। टीसीए एयर होस्टेस को ट्रेनिंग देती है। पड़ताल की गई तो यह भी सामने आया कि टीसीए ने उसे कोई फ्रेंचाइजी नहीं दी है।
ऐसे मिला पुलिस को सुराग :
प्रतापगढ़ निवासी राकेश प्रताप सिंह ने ढाई लाख रुपये दिये। उसे जहाज पर नौकरी मिली लेकिन दस माह बाद कांट्रैक्ट पूरा होते ही निकाल दिया गया। उसने राघवेन्द्र से सम्पर्क किया तो वह उसे दोबारा भेजने के लिए 50 हजार रुपये मांगने लगा। इस पर राकेश ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने छानबीन की तो मामला जालसाजी का निकला।
ऐसे करते थे जालसाजी :
वीजा, पासपोर्ट व सीडीसी तैयार कर बेरोजगार को दुबई भेजा जाता था। वहां जालसाजों के एजेंट उसे नौकरी पर रखवाते थे। राघवेंद्र एजेंट को एक युवक के लिए एक लाख रुपये देता था। शेष पैसा खुद गटक जाता था। मजदूर से बना धनाढ्य : जहाज पर छोटी सी नौकरी करने वाला राघवेंद्र त्रिपाठी जालसाजी से धनाढ्य बन गया। उसने अब तक करीब 500 लोगों से लाखों रुपये ठगे हैं। यही नहीं उसने गोमतीनगर के विनीतखंड में 22 लाख रुपये का मकान बनवाया है। इसके अलावा लाखों रुपये बैंक में भी जमा है(दैनिक जागरण,लखनऊ,19.11.2010)।
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