पोस्टग्रैजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट ( पीजीडीएम ) कोर्स संचालित कराने वाले कॉलेज प्रबंधकों को अभी से प्लेसमेंट की चिंता सताने लगी है। दरअसल प्लेसमेंट का रेकॉर्ड अच्छा होने पर ही अगले साल कॉलेज की सीटें भरी जा सकेंगी। शत - प्रतिशत प्लेसमेंट कराने के लिए एक ओर जहां कॉलेज मैनेजमेंट स्टूडेंट्स की स्पेशल क्लास लगा रहे हैं , वहीं इंडस्ट्री से भी राय ली जा रही है।
ग्रेटर नोएडा में बिमटेक इंस्टिट्यूट , मंगलमय इंस्टिट्यूट , तक्षशिला बिजनेस इंस्टिट्यूट , जीएसबीए इंस्टिट्यूट , जीएनआईटी कॉलेज समेत करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसे कॉलेज हैं , जहां पीजीडीएम कोर्स संचालित होते हैं। इस साल कई कॉलेजों में सीटें फुल नहीं हुई। इससे कॉलेज प्रबंधक परेशान रहे। अगले सेशन में दोबारा ऐसी नौबत न आए , इसके लिए प्रबंधकों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी। प्रबंधकों को पता है कि अगर वे 100 पर्सेंट प्लेसमेंट कराने में कामयाब रहे तभी अगले सेशन में उनकी सीटें भरेंगी।
प्लेसमेंट के लिए स्टूडेंट्स की अलग से तैयारी कराई जा रही है। तक्षशिला बिजनेस इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर डॉ . धर्मवीर सिंह ने बताया कि शत - प्रतिशत प्लेसमेंट के लिए स्टूडेंट्स को पर्सनैलिटी डिवेलपमेंट की क्लास , गेस्ट लेक्चर , सेमिनार , कॉन्फ्रेंस , मॉक इंटरव्यू , ग्रुप डिस्कशन , वर्कशॉप और बिजनेस जैसी एक्टिविटी में शामिल कराया जा रहा है। ऐसी एक्टिविटी में शामिल होकर ही स्टूडेंट्स का विकास संभव है। कॉलेजों की लाइब्रेरी में भी प्लेसमेंट से संबंधित बुक्स , डायरेक्टरी , सीडी , प्रमुख कंपनियों के पोर्टल , समर ट्रेनिंग रिपोर्ट्स , मॉडल क्वेश्चन बैंक आदि स्टूडेंट्स को उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
इसके अलावा कॉलेज प्रबंधकों ने प्लेसमेंट के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कंपनियों से न सिर्फ संपर्क करना शुरू कर दिया है , बल्कि सिलेबस में उनकी राय भी ली जा रही है , ताकि उद्योग जगत के जरूरतों के मुताबिक स्टूडेंट्स तैयार किया जा सके। कुछ संस्थानों में फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को अभी से ही ऑफर लेटर मिलने शुरू हो गए हैं। जीएसबीए इंस्टिट्यूट के फाउंडर डायरेक्टर डॉ . पी . एल . मग्गू के मुताबिक आने वाले समय में प्लेसमेंट ही कॉलेज का भविष्य तय करेगी। जो कॉलेज प्लेसमेंट कराने में नाकाम होंगे , उन्हें परेशानी झेलनी होगी। उन्होंने बताया कि प्लेसमेंट के लिए जितना जरूरी कंपनियों से तालमेल हैं , उतना ही जरूरी स्टूडेंट्स को क्वॉलिटी ऑफ एजुकेशन मुहैया कराना है(पवन सिंह,नवभारत टाइम्स,ग्रेटर नोएडा,16.11.2010)।
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