सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से पदोन्नति रोकने का भरोसा मिलने के बाद पदोन्नति में आरक्षण रोकने पर अवमानना कार्यवाही रोक दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के एक प्रार्थना पत्र पर यह कार्यवाही की। सरकार की ओर से यह प्रार्थना पत्र उस मामले में लगाया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर रखा है।
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाघिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया है, इसलिए राजस्थान हाईकोर्ट में समता आंदोलन समिति की अवमानना याचिका पर कार्यवाही रोकी जाए। समता आंदोलन समिति के अघिवक्ता एम.आर. कल्ला ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट के सरकार की अघिसूचनाएं रद्द करने के आदेश पर रोक नहीं लगने के बावजूद राज्य सरकार पुरानी वरीयता सूची के अनुसार लगातार पदोन्नति कर रही है। सुप्रीम कोर्ट का रोक का अंतरिम आदेश 25 नवम्बर तक प्रभावी रहेगा, संभावना व्यक्त की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार की मूल अपील पर 25 नवम्बर से पहले फैसला सुना सकती है।
अजमेर डीजे व ब्यावर एडीजे से जवाब-तलब
राजस्थान हाईकोर्ट ने सेवा सम्बन्धी एक मामले में अजमेर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा ब्यावर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश से जवाब तलब किया है। न्यायाधीश प्रेम शंकर आसोपा ने ब्यावर की एक अदालत में मंत्रालयिक कर्मचारी पंकज शर्मा की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया। प्रार्थीपक्ष के अघिवक्ता लक्ष्मीकांत ने न्यायालय को बताया कि प्रार्थी को इसी साल 21 जुलाई को मंत्रालयिक कर्मचारी के रूप में नियुक्ति दी गई थी। प्रार्थी ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश से द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी के लिए तीन माह के अवैतनिक अवकाश का आग्रह किया, इस पर उसे परीक्षा देने की अनुमति तो मिल गई, लेकिन अवैतनिक अवकाश स्वीकृत नहीं हुआ। इसके बाद प्रार्थी छुट्टी पर चला गया तो 22 अक्टूबर को उसे विभागीय कार्यवाही का नोटिस मिल गया। याचिका में इस नोटिस को चुनौती दी गई है(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,17.11.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।