गैस राहत विभाग में दिन रात मरीजों की सेवा करने वाली साढ़े तीन सौ नर्सों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। मूल विभाग में इनका कोई रिकार्ड नहीं है, जबकि गैस राहत विभाग का मानना है कि वह अस्थायी विभाग है और यहां पदोन्नति संभव नहीं है। हाल यह है कि दोनों विभाग एक दूसरे के सिर बला टाल कर मुक्त हो रहे हैं, जबकि नर्सिग स्टाफ का कहना है कि वे अब क्या करें और कहां जाएं। बीस साल पहले गैस राहत विभाग में साढ़े तीन सौ नर्सों को स्वास्थ्य विभाग में प्रतिनियिुक्ति पर भेजा गया था। तबसे इनकी सेवाएं स्वास्थ्य विभाग के पास हैं। इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने अपने नर्सिग स्टाफ को पदोन्नति देने का मन बनाया और एक पत्र संचालक गैस राहत विभाग को लिखा कि वे प्रतिनियिुक्ति पर गई नर्सों के दस्तावेज भेजें ताकि उन्हें भी इंचार्ज सिस्टर व ट्यूटर के पद पर पदोन्नत किया जा सके। बात आई गई हो गई और स्वास्थ्य विभाग ने अपने नर्सिग स्टाफ का प्रमोशन कर दिया। इसके बाद फिर पदोन्नति की नीति बनी तो संचालक स्वास्थ्य विभाग ने एक पत्र संचालक गैस राहत विभाग को भेजा जिसमें कहा गया कि वे प्रतिनियिुक्ति पर गई नर्सों का रिकार्ड संयुक्त संचालक के सामने प्रस्तुत करें ताकि उन्हें पदोन्नति दी जा सके। इसके बाद भी जब कोई उत्तर न मिला तो विभाग ने मौन धारण कर लिया। अब विभाग एक बार फिर अपने नर्सिग स्टाफ की पदोन्नति करने जा रहा है। लेकिन उसमें गैस राहत विभाग की उन नर्सों के नाम पर विचार नहीं होगा जो प्रतिनियिुक्ति पर गई थीं(दैनिक जागरण,भोपाल,26.11.2010)।
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