लेखक रमाकांत बेंजवाल की पुस्तक ‘गढ़वाली भाषा की शब्द-संपदा’ का प्रख्यात लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने देहरादून में लोकार्पण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि गढ़वाली भाषा को प्राथमिक स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
पुस्तक का लोकार्पण बुधवार को जिला पंचायत सभागार में किया गया। बतौर मुख्य अतिथि लोकार्पण करते हुए नेगी ने कहा कि लोकमाटी में गढ़े गए और लोक जीवन के बीच व्यवहार में आए ये शब्द गढ़वाली भाषा की अनमोल धरोहर हैं। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर के पाठ्यक्रम में गढ़वाली भाषा को शामिल करने से इसका संरक्षण संभव होगा। साहित्य अकादमी ने हाल ही में गढ़वाली के दो रचनाकारों को सम्मानित किया, जो एक अच्छा संकेत है।
विशिष्ट अतिथि डा. सविता मोहन ने कहा कि लोक भाषा के उन्नयन के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। गढ़वाली भाषा की दुर्लभ पांडुलिपियों का प्रकाशन भी किया जाएगा। गढ़वाली भाषा की शब्द-संपदा के लेखक रमाकांत बेंजवाल ने कहा कि गढ़वाली में ऐसे शब्दों की भरमार है, जिनके लिए हिंदी में कोई शब्द नहीं है। गढ़वाली में हिंदी की अपेक्षा कई गुना अधिक गंध बोधक, स्वाद बोधक, ध्वन्यर्थक, स्पर्श बोधक, अनुभूति बोधक शब्द और असंख्य संख्या वाची और समूह वाचक शब्दावली है। पुस्तक में शब्द-युग्म, पर्यायवाची, विशेषण-विशेष्य, समानता बोधक शब्दावली, शब्द परिवार, अनेकार्थी शब्द, मात्रक, खेल-खिलौने, विभिन्न गृहपयोगी वस्तुओं से संबंधित शब्दावली को वर्गीकृत करने की कोशिश की गई है।
लोकार्पण समारोह में साहित्कार गोकुलानंद किमोठी, गढ़कवि निरंजन सुयाल, मदन डुकलान आदि ने भी संबोधन किया। संचालन गणेश खुगशाल गणि ने किया। पुस्तक का प्रकाशन विनसर पब्लिशिंग कं. ने किया है(अमर उजाला,देहरादून,11.11.2010)।
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