हाईकोर्ट के निर्देश पर ही सही, महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग के आवासीय गृहों में रह रहे बिगड़ैल किशोर-किशोरियों तथा बेसहारा बच्चों को नियमित माध्यमिक शिक्षा दिलाने की जमीन तैयार हो रही है। इस सम्बंध में महिला कल्याण एवं बाल विकास तथा माध्यमिक शिक्षा विभागों की कोशिशें परवान चढ़ीं तो आवासीय गृहों के अंत:वासी पास के स्कूलों में कक्षा नौ से 12 तक की नियमित पढ़ाई कर सकेंगे।
महिला कल्याण विभाग किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 के तहत कानून का उल्लंघन करने वाले किशोर-किशोरियों और निराश्रित बच्चों के लिए आवासीय गृहों का संचालन करता है। आवासीय गृहों के अंत:वासियों को शिक्षा प्रदान करने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि आवास गृहों के संवासियों को स्तरीय शिक्षा नहीं दी जा रही है। इस पर कोर्ट ने आवासीय गृहों के अंत:वासियों को शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था।
अदालत के निर्देश के क्रम में हाल ही में प्रमुख सचिव महिला कल्याण की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी। बैठक में यह तय हुआ था कि इन आवासीय गृहों के अंत:वासियों को पास के राजकीय या मान्यताप्राप्त स्कूलों में शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की जाए। इस बैठक में माध्यमिक शिक्षा के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। इस बैठक के बाद निदेशक महिला कल्याण ने सचिव माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिखकर आवासीय गृहों के अंत:वासियों को कक्षा नौ से 12 तक की शिक्षा पास के राजकीय स्कूलों में दिलाने का बंदोबस्त करने के लिए शासनादेश जारी करने का अनुरोध किया था।
इस पर सचिव माध्यमिक शिक्षा ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिखकर सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को इस संबंध में सूचित करने का निर्देश दिया था। उन्होंने निदेशक माध्यमिक शिक्षा से कहा है कि सभी डीआईओएस महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग के नोडल अधिकारियों के साथ जिला स्तर पर बैठक कर आवासीय गृहों के अंत:वासियों को पास के माध्यमिक विद्यालयों नियमित शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराने के मुद्दे पर विचार विमर्श कर लें। बैठकों में हुए विचार विमर्श के आधार पर निदेशालय शासन को प्रस्ताव भेजे(दैनिक जागरण संवाददाता,लखनऊ,7.11.2010)।
ाच्छी जानकारी धन्यवाद।
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