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10 नवंबर 2010

कनाडाई विश्वविद्यालयों ने किया भारत का रुख

विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत आने का कानूनी रास्ता अभी भले न साफ हुआ हो, लेकिन विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों की दिलचस्पी बढ़ने लगी है। अब कनाडा के आठ विश्वविद्यालयों ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारत केंद्रित पहलकदमियों पर 40 लाख कनाडाई डॉलर के निवेश का ऐलान किया है। इस पहल के तहत ही कनाडा में पीएचडी या फिर पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले भारत के बेहतरीन प्रतिभाशाली छात्रों के लिए ग्लोबालिंक कनाडा-इंडिया ग्रेजुएट फेलोशिप भी शुरू की जाएगी। कनाडा की इस नई पहल का ऐलान मंगलवार को यहां ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट व वाइस चांसलर स्टीफन जे. टूपे ने भारत के मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और कनाडा के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री गैरी गुडइयर की मौजूदगी में किया। उन्होंने बताया कि कनाडा के आठ विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारत केंद्रित नई पहलों पर कुल 40 लाख कनाडाई डॉलर का निवेश करेंगे। ग्लोबालिंक कनाडा-इंडिया ग्रेजुएट फेलोशिप कार्यक्रम के तहत कुल 51 फेलोशिप दी जा सकती है, जिस पर 35 लाख कनाडाई डॉलर खर्च होगा। इस फेलोशिप का फायदा कनाडा के मिटैक्स ग्लोबालिंक कार्यक्रम-2010 में शामिल होने वाले भारतीय छात्र ही ले सकेंगे। इस मौके पर आईआईटी-दिल्ली और ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, आंटेरियो इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी व अमल ज्योति कॉलेज आफ इंजीनियरिंग, रॉयल रोड्स यूनिवर्सिटी व इंदिरा गांधी ओपेन यूनिवर्सिटी के बीच भी अलग-अलग सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए, जबकि रॉयल रोड्स यूनिवर्सिटी व एसीएन स्कूल ऑफ बिजनेस ने शैक्षिक आदान-प्रदान के लिए एमओयू किया है। उधर, श्रीपेरंबदूर स्थित राष्ट्रीय राजीव गांधी युवा विकास संस्थान (डीम्ड विश्वविद्यालय) को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की कवायद शुरू हो गई है। इस बाबत केंद्रीय युवा एवं खेलकूद मंत्रालय के प्रस्ताव के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय हरकत में आ गया है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,10.11.2010)।

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