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22 नवंबर 2010

सूइसाइड रोकने के लिए IIT कानपुर में लगेगा इंटरनेट कर्फ्यू

हायर एजुकेशन पा रहे स्टूडेंट्स आत्महत्या क्यों करते हैं यह एक रिसर्च का मुद्दा है लेकिन कानपुर आईआईटी के अधिकारियों ने इसकी बड़ी वजह लेट नाइट इंटरनेट सर्फिंग को माना है। नतीजे में आईआईटी कैंपस में रात 12 से सुबह 8 बजे तक का इंटरनेट ब्लैक आउट लागू करने पर विचार किया जा रहा है। अगर स्टूडेंट सेनेट और फैकल्टी इस प्रस्ताव को पास कर देती है तो एग्जाम के बाद काउंसलिंग सेल की मदद से इसे लागू कर दिया जाएगा।

कानपुर आईआईटी का इस गंभीर मुद्दे पर परेशान होना वाजिब भी है क्योंकि पिछले पांच साल में उसके आठ स्टूडेंट सूइसाइड कर चुके हैं। पिछले हफ्ते ही आंध्र प्रदेश की बीटेक फाइनल की स्टूडेंट माधुरी साले (22) ने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा ली थी।

आईआईटी के रजिस्ट्रार संजीव कशालकर का कहना है कि पूरा कैंपस वाई-फाई इंटरनेट सुविधा से लैस है। हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट रातभर इंटरनेट सर्फिंग करते हैं। सुबह जब वे क्लास के लिए जाते हैं तो थके होते हैं। थकान और नींद की कमी की वजह से जब क्लास में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते तो वे तनाव में आ जाते हैं। आईआईटी में पांच हजार स्टूडेंट्स हैं इसलिए आधी रात को यह चेक करना मुमकिन नहीं है कि कौन सो गया है और कौन नेट पर है। इसलिए विचार किया जा रहा है कि इंटरनेट सर्वर को आधी रात के बाद बंद कर दिया जाए।

कशालकर के मुताबिक स्टूडेंट्स में पनप रहे स्ट्रेस और तनाव से निबटने के लिए इंस्टिट्यूट में दो सायकायट्रिस्ट, एक योगा सेंटर और एक काउंसलिंग सेंटर भी हैं। इसके अलावा मनोरंजन के दूसरे साधन भी हैं जो छात्र के तनाव को दूर करने में मददगार साबित हो सकते हैं। रजिस्ट्रार ने इस बात पर जोर दिया कि अब यह देखना स्टूडेंट्स के पैरंट्स की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को लैपटॉप और इंटरनेट सुविधाओं से युक्त मोबाइल देते हैं या सामान्य जरूरत की चीजें(नवभारतटाइम्स,कानपुर,22.11.2010)।

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