सुप्रीमकोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के कॉमन मेडिकल प्रवेश परीक्षा को मंजूरी दे दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि एमसीआई के खिलाफ चल रही सुनवाई के बावजूद वह साझा प्रवेश परीक्षा के नियम अधिसूचित करने को स्वतंत्र है। मेडिकल कॉलेजों में भर्ती के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा का मामला गर्म है। राज्य सरकारें और निजी मेडिकल कॉलेज पीएमटी से भर्ती के अलावा कॉलेजों में सीधा प्रवेश भी देते हैं या अपनी अलग प्रवेश परीक्षा कराते हैं। मेडिकल काउंसिल और केंद्र सरकार संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराने के पक्षधर हैं जबकि तमिलनाडु सहित कई राज्य इसका विरोध कर रहे हैं। हर राज्य में मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण के अलग-अलग नियम हैं, संयुक्त प्रवेश परीक्षा से राज्यों को अपनी स्वायत्तता खत्म होने का का डर है। ये स्पष्टीकरण न्यायमूर्ति आर.वी. रवींद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस समय दिए जब एमसीआई और सरकार की ओर से पेश वकीलों ने बताया कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा के संबंध में नियम बना लिए गए हैं और सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद अधिसूचित कर दिए जाएंगे।पीठ ने कहा कि कानून के तहत वे तैयार नियमों को अधिसूचित होने से पहले मंजूरी कैसे दे सकते हैं। निर्धारित कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक सरकार नियम बना सकती है उन्हें अधिसूचित कर सकती है। इसके बाद अगर किसी को उन नियमों से परेशानी होती है तो वह उन्हें कोर्ट में चुनौती दे। नियमों को चुनौती देने के बाद ही कोर्ट उस पर कोई आदेश पारित कर सकता है। कोर्ट को बताया गया कि तमिलनाडु सरकार ने नियमों के खिलाफ अर्जी दाखिल कर रखी है जो अभी लंबित है। लेकिन कोर्ट ने फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं किया सिर्फ स्पष्ट किया कि अगर प्रावधानों के तहत नियमों को अधिसूचित किया जाता है तो कोर्ट में लंबित मामला उसके आड़े नहीं आएगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,14.12.2010)।
हिंदुस्तान,दिल्ली संस्करण में श्याम सुमन की रिपोर्टः
डॉक्टर बनने के लिए छात्रों को अब विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के टेस्ट नहीं देने पड़ेंगे। उन्हें एक ही टेस्ट देना होगा, जिसके आधार पर मेरिटके हिसाबसे मेडिक ल कॉलेजों में दाखिला मिल जाएगा। इसी टेस्ट से राज्यों तथा केंद्र का कोटा निकाला जाएगा, जो क्रमश: 85 और 15 फीसदी रहेगा। अगले वर्ष 2011 में प्रस्तावित अखिल भारतीय एकल मेडिकल प्रवेश परीक्षा में पीजी कोर्स भी शामिल है। अभी तक राज्य स्तर पर भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती थी। कुछ कॉलेज अपनी प्रवेश परीक्षा अलग से लेते हैं, जिससे छात्रों को कमसे कम 20 से 25 परीक्षाएं देनी पड़ती हैं।मगर अब उन्हें इसझंझट से छुटकारामिल जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई)से कहा है कि वह अखिल भारतीय एकल मेडिकलप्रवेश परीक्षा के लिए नियम बनाए और उन्हें अधिसूचित करे। सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले इससंबंध में उसके आड़े नहीं आएंगे। गौरतलब है कि इननियमों को केंद्र सरकारने 13 अगस्त 10 को मंजूरीदेदीथी।
छात्रों का फायदा
■ एक ल परीक्षा में राज्यों का कोटा 85 और केंद्र का 15 फीसदी होगा
■ अल्पसंख्यक व गैर-सहायता प्राप्त कॉलेजों पर लागू नहीं होगी परीक्षाअगले वर्ष होने वाली सिविल सर्विसेज परीक्षा नए पाठ्यक्रम पर आधारित होगी। संघ लोग सेवा आयोग (यूपीएससी) ने प्रारंभिक परीक्षा के लिए 14 प्रश्नों के दो मॉडल पेपर जारी कर दिए हैं। इन पेपरों को आयोग की वेबसाइटसे डाउनलोड किया जा सकता है। आयोग के सचिव अजय रावत ने बताया कि इन्हीं मॉडल पेपरों के आधार पर प्रारंभिक परीक्षा के प्रथम और द्वितीय प्रश्नपत्र तैयार किए जाएंगे। नई व्यवस्था में दोनों प्रश्न पत्र हिंदी और अंग्रेजी में होंगे। मगर,अभ्यर्थी की अंग्रेजी भाषा की समझ का परीक्षण करने के लिए कुछ प्रश्न अंग्रेजी में भी पूछे जाएंगे।
कैसा होगा प्रश्नपत्रों का फारमेट :
प्रारंभिक परीक्षा में दो-दो सौ नंबर के दो अनिवार्य प्रश्नपत्र होंगे, जिनकापरीक्षार्थी को दो घंटे के अंदर उत्तर देना होगा। पहले प्रश्नपत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के ताजा घटनाक्रम, भारत का इतिहास, राष्ट्रीय आंदोलन, भारत और विश्व भूगोल, भारतीय शासन और राजनीति, संविधान, राजनीतिक प्रणाली व पंचायती राज आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। दूसरे प्रश्नपत्र में मेंटल एबिलिटी, संप्रेषण कौशल, निर्णय क्षमता और समस्या समाधान, डेटा की व्याख्या, ग्राफ व अंग्रेजी भाषा की समझ से जुड़े प्रश्न होंगे।
तैयारी
■ मॉडल पेपरों के आधार पर ही सेट होंगे प्रश्नपत्र
■ यूपीएससी की वेबसाइटसे कर सकते हैं डाउनलोड
हिंदुस्तान,दिल्ली संस्करण में श्याम सुमन की रिपोर्टः
डॉक्टर बनने के लिए छात्रों को अब विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के टेस्ट नहीं देने पड़ेंगे। उन्हें एक ही टेस्ट देना होगा, जिसके आधार पर मेरिटके हिसाबसे मेडिक ल कॉलेजों में दाखिला मिल जाएगा। इसी टेस्ट से राज्यों तथा केंद्र का कोटा निकाला जाएगा, जो क्रमश: 85 और 15 फीसदी रहेगा। अगले वर्ष 2011 में प्रस्तावित अखिल भारतीय एकल मेडिकल प्रवेश परीक्षा में पीजी कोर्स भी शामिल है। अभी तक राज्य स्तर पर भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती थी। कुछ कॉलेज अपनी प्रवेश परीक्षा अलग से लेते हैं, जिससे छात्रों को कमसे कम 20 से 25 परीक्षाएं देनी पड़ती हैं।मगर अब उन्हें इसझंझट से छुटकारामिल जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई)से कहा है कि वह अखिल भारतीय एकल मेडिकलप्रवेश परीक्षा के लिए नियम बनाए और उन्हें अधिसूचित करे। सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले इससंबंध में उसके आड़े नहीं आएंगे। गौरतलब है कि इननियमों को केंद्र सरकारने 13 अगस्त 10 को मंजूरीदेदीथी।
छात्रों का फायदा
■ एक ल परीक्षा में राज्यों का कोटा 85 और केंद्र का 15 फीसदी होगा
■ अल्पसंख्यक व गैर-सहायता प्राप्त कॉलेजों पर लागू नहीं होगी परीक्षाअगले वर्ष होने वाली सिविल सर्विसेज परीक्षा नए पाठ्यक्रम पर आधारित होगी। संघ लोग सेवा आयोग (यूपीएससी) ने प्रारंभिक परीक्षा के लिए 14 प्रश्नों के दो मॉडल पेपर जारी कर दिए हैं। इन पेपरों को आयोग की वेबसाइटसे डाउनलोड किया जा सकता है। आयोग के सचिव अजय रावत ने बताया कि इन्हीं मॉडल पेपरों के आधार पर प्रारंभिक परीक्षा के प्रथम और द्वितीय प्रश्नपत्र तैयार किए जाएंगे। नई व्यवस्था में दोनों प्रश्न पत्र हिंदी और अंग्रेजी में होंगे। मगर,अभ्यर्थी की अंग्रेजी भाषा की समझ का परीक्षण करने के लिए कुछ प्रश्न अंग्रेजी में भी पूछे जाएंगे।
कैसा होगा प्रश्नपत्रों का फारमेट :
प्रारंभिक परीक्षा में दो-दो सौ नंबर के दो अनिवार्य प्रश्नपत्र होंगे, जिनकापरीक्षार्थी को दो घंटे के अंदर उत्तर देना होगा। पहले प्रश्नपत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के ताजा घटनाक्रम, भारत का इतिहास, राष्ट्रीय आंदोलन, भारत और विश्व भूगोल, भारतीय शासन और राजनीति, संविधान, राजनीतिक प्रणाली व पंचायती राज आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। दूसरे प्रश्नपत्र में मेंटल एबिलिटी, संप्रेषण कौशल, निर्णय क्षमता और समस्या समाधान, डेटा की व्याख्या, ग्राफ व अंग्रेजी भाषा की समझ से जुड़े प्रश्न होंगे।
तैयारी
■ मॉडल पेपरों के आधार पर ही सेट होंगे प्रश्नपत्र
■ यूपीएससी की वेबसाइटसे कर सकते हैं डाउनलोड
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