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14 दिसंबर 2010

नकली जाति प्रमाणपत्र से नौकरी पाने वाले को सजा

नकली जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले सफदरजंग अस्पताल के एक डार्करूम सहायक को एसीएमएम किरण बंसल की अदालत ने दोषी करार देते हुए तीन साल कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अगर अभियुक्त जुर्माना राशि अदा नहीं करता है तो उसे दो माह की कैद भी काटनी होगी। पेश मामले में वर्ष 2003 में चंदेश्वर प्रसाद नाम के एक व्यक्ति ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा था कि राजधानी में बहुत से लोग बाहर से आकर फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी हासिल कर काम कर रहे हैं। इसकी सीबीआई जांच करानी चाहिए। उक्त याचिका के आधार पर हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने 12 जनवरी 2005 को जांच शुरू की थी। जांच के दौरान पता चला कि सफदरजंग अस्पताल के डार्करूम सहायक नंदकिशोर प्रसाद ने बिहार के सीवान जिले से बना हुआ जाति प्रमाण पत्र नौकरी पाने के लिए पेश किया था। सीबीआई ने इस प्रमाण पत्र की जांच की तो पाया कि प्रमाण पत्र पर अनुमंडल अधिकारी के हस्ताक्षर नकली हैं। सीबीआई ने अदालत को बताया कि नंद कुमार ने नौकरी पाने के लिए जाति प्रमाण पत्र कोरिया जनजाति का बनवाया था, जबकि वह कोइरी जाति से संबंध रखता है। यह जाति बिहार राज्य में ओबीसी वर्ग में आती है(दैनिक जागरण,दिल्ली,14.12.2010)।

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