राजधानी में स्कूलों में दाखिले को लेकर मारामारी लगी रहती है। कम सरकारी स्कूल होने के कारण इनमें क्षमता से कई गुणा अधिक छात्र पढ़ रहे हैं। इससे पढ़ाई की गुणवता प्रभावित हो रही है। इस कारण अभिभावक बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने से कतराते हैं। वे अच्छी पढ़ाई के लिए पब्लिक स्कूलों का रुख करते हैं, जिससे इनकी डिमांड बढ़ जाती है। भीड़ बढ़ने के कारण ही पब्लिक स्कूल मनमानी पर उतारू हो जाते हैं। बीते पांच साल में राजधानी में सरकारी और निजी स्कूलों की संख्या में हुई बढ़ोतरी पर गौर करें तो सरकार की उदासीनता साफ देखने को मिलती है। छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकारी स्कूलों की संख्या में बहुत कम बढ़ोतरी की गई है। कम सरकारी स्कूल होने के कारण अभिभावकों के सामने निजी स्कूल ही एकमात्र विकल्प रह जाते हैं। हाल ही में सीबीएसइ ने स्कूलों में एक कक्षा में 40 बच्चों के होने की बात कही है। अगर इसका पालन किया गया तो राजधानी में कम से कम पांच सौ और सरकारी स्कूलों की और जरूरत पड़ेगी, क्योंकि सरकारी स्कूलों में एक कक्षा में 80 से 100 बच्चे पढ़ रहे हैं। दरअसल, राजधानी में बीते पांच सालों में सरकारी स्कूलों की संख्या में दस फीसदी भी इजाफा नहीं हुआ है। क्षमता से चार से पांच गुना अधिक बच्चों के सरकारी स्कूलों में होने से बैठने की जगह नहीं है लिहाजा मन मारकर अभिभावक अधिक पैसे खर्च कर निजी स्कूलों में जाने को मजबूर हैं। वहीं निजी स्कूलों की संख्या में बीते पांच सालों में सौ फीसदी इजाफा हो गया है। मौजूदा समय में दिल्ली में सरकारी स्कूलों की संख्या 637 है, जिसमें सुबह और शाम की पालियों को मिलाकर कुल 925 सर्वोदय स्कूल हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि पाली बढ़ाकर स्कूलों की संख्या को बढ़े हुए दिखा दिए गए हैं, लेकिन स्कूल बिल्डिंग केवल 637 ही हैं। बीते पांच सालों में दिल्ली में सरकारी स्कूलों की संख्या में केवल 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि बीते कुछ सालों में दिल्ली सरकार ने काफी सर्वोदय स्कूलों में शाम की पालियों को बंद कर दिया है। बच्चों को सुबह की पाली में ही शिफ्ट कर दिया है जिससे कई दर्जन सरकारी स्कूलों में तीन से साढ़े चार हजार तक बच्चे हो गए हैं। इससे पढ़ाई और बैठने का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। पांच साल पहले राजधानी में छोटे-बड़े निजी स्कूलों की संख्या हजार से ग्यारह सौ थी, अब इनकी संख्या 1909 हो गई है। ये सभी स्कूल दिल्ली सरकार और नगर निगम से मान्यता प्राप्त हैं। कई इलाकों में दर्जनों पब्लिक स्कूल बिना रजिस्ट्रेशन के चला रहे हैं या उन्होंने रजिस्ट्रेशन के लिए निगम या सरकार के पास आवेदन किया हुआ है। राजधानी में गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या करीब 1591 है(दैनिक जागरण,दिल्ली,14.12.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।