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24 दिसंबर 2010

बिहारःसहकारी बैंकों में 11 हजार नियुक्तियां

राज्य सरकार ने सहकारी बैंकों में 11 हजार खाली पदों को भरने का निर्णय लिया है. साथ ही सहकारी बैंकों को व्यावसायिक बैंकों के समकक्ष लाने के लिए सभी शाखाओं को कंप्यूटरीकृत व आधुनिक बनाने का निर्णय लिया गया है.

सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह ने बताया कि केंद्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशकों को निर्देश दिया गया है कि सहकारी बैंकों में रोस्टर के आधार पर जो नियुक्तियां करनी हैं, उनका प्रस्ताव जल्द विभाग को को भेजा जाये. सहकारी बैंकों को कंप्यूटरीकृत करने का निर्देश दिया गया है.

प्रथम चरण में सभी बैंकों में कंप्यूटर उपलब्ध कराया जायेगा. इसके बाद सभी सहकारी बैंकों में कोर बैंकिंग प्रणाली लागू की जायेगी, ताकि सभी सहकारी बैंक एक-दूसरे से जुड़ सकें.गौरतलब है कि पिछले दिनों सहकारिता विभाग की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने और स्वयं मंत्री के स्तर पर समीक्षा की गयी है(प्रभात खबर,पटना,24.12.2010).

हिंदुस्तान,पटना संस्करण की रिपोर्टः
राज्य के सहकारी बैंकों में 11 हजार लोगों की बहाली होगी। खास बात यह है कि अब इन बहालियों में बैंक अधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी। सरकार राष्ट्रीयकृत बैंकों के भर्ती बोर्डों से इसके लिए परीक्षा लेने का अनुरोध करने जा रही है। इसी के साथ इन बैंकों में कोर बैंकिंग प्रणाली लागू करने की तैयारी भी शुरू हो गई है । इससे राज्य की सभी शाखाएं आपस में जुड़ जाएंगी। कम्प्यूटराइजेशन के लिए सरकार ने राशि देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मार्च तक 400 करोड़ रुपये रिलीज कर दिये जाएंगे। सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह ने सहकारी बैंकों के अधिकारियों से रिक्तियों का पता लगाकर भर्ती का प्रस्ताव जल्द भेजने का निर्देश दिया है । बहालियों में रोस्टर का पूरा ध्यान रखने का आदेश भी जारी किया गया है । इस समय 23 जिला और एक राज्य सहकारी बैंक की 236 शाखाओं में लगभग 11 हजार पद रिक्त हैं । हद तो यह है कि कई बैंकों में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी ही प्रबंधक का काम भी देख रहे हैं। प्रबंधक के अलावा लेखा अधिकारी, विकास अधिकारी, लिपिक, कैशियर और डाटा इंट्री ऑपरेटर के हजारों पद रिक्त पड़े हैं। कम्प्यूटराइजेशन और कोर बैंकिंग प्रणाली लागू होने के बाद कई और नये पदों को सृजित किया जाना है। मंत्री ने बताया कि राज्य में सहकारी बैंकों की स्थिति जर्जर है । राष्ट्रीयकृत बैंक कि सानों की अनदेखी करते हैं। ऐसे में सहकारी बैंक मजबूत होंगे तो वे किसानों की जरूरत को न सिर्फ समझेंगे बल्कि उनके साथ खड़े भी दिखेंगे। अब तक इन बैंकों में प्रबंध निदेशकों के इशारे पर बहाली होती रही है। लिहाजा भाई भतीजावाद का बोलबाला रहता था। योग्यता का भी ख्याल नहीं रखा जाता था। इससे बैंकों की कार्यप्रणाली प्रभावित होती रही है । मंत्री ने कहा कि सरकार राष्ट्रीयकृत बैंकों के भर्ती बोर्डों से आग्रह क रेगी कि वे इन बैंकों में बहाली के लिए भी परीक्षाएं आयोजित कर योग्य उम्मीदवारों का चयन करें।

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