मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

29 दिसंबर 2010

मुंबईःनर्सरी की फीस 12 लाख!

अगर, आप अपने नौनिहाल को अंतरराष्ट्रीय स्कूल में पढ़ाने का सपना देखते हैं, तो आपको कम से कम करोड़पति होना पड़ेगा। वजह-मुंबई के इंटरनैशनल स्कूलों की प्रिप्राइमरी कक्षाओं की फीस लाखों में पहुंच चुकी है। एनबीटी को मिली जानकारी के अनुसार, एडिमशन के इस हॉट सीजन में जुहू का इकोल मॉन्डेल वर्ल्ड स्कूल महानगर का सबसे महंगा स्कूल साबित हुआ है, जहां प्रिप्राइमरी के लिए सालाना 12 लाख रुपये से अधिक फीस है।
शरद पवार इंटरनैशनल स्कूल की फीस 4.7 लाख और डॉ. पिल्लई ग्लोबल एकेडमी की 4 लाख रुपये सालाना है। दूसरे स्कूलों (देखें टेबल) में भी यह एक से दो लाख के बीच है। यह फीस शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्लोबल एजुकेशन, ऑल राउंड डिवेलपमेंट के नाम पर ली जा रही है।
इकोल मॉन्डेल की एक पैरेंट कहती हैं, 'यहां क्लासरूम एयरकंडिशंड है। टीचर्स अच्छे हैं, कोर्स और पढ़ाने का ढंग रोचक है और क्लास में कम बच्चे हैं। लेकिन, इसके एवज में 12 लाख रुपये बहुत ज्यादा हैं। हायर क्लास में सही हो सकता है, लेकिन प्रिप्राइमरी के बच्चों को स्कूल में चार घंटे रखा जाता है और नाच-गाना या बहुत हुआ तो राइम्स सिखाई जाती हैं। लेकिन, ढाई लाख रुपये सिक्युरिटी डिपॉजिट बहुत अखर रही है। चार साल का मेरा बेटा स्कूल में ढाई लाख रुपये की किस चीज का नुकसान करेगा?'

इस साल एडमिशन फॉर्म भी हजारों में बिक रहे हैं। इकोल में प्रवेश फॉर्म पांच हजार, शरद पवार स्कूल में साढ़े पांच हजार रुपये का। पैरेंट्स की दिक्कत यह है कि तीन-चार स्कूलों के फॉर्म भरने पड़ते हैं। बीडी सोमानी में एडमिशन दिलवाने में नाकाम रहे एक पेरेंट के मुताबिक, 'दो हजार रुपये का एडमिशन फॉर्म था। बाद में पता चला कि कुछ सौ सीटों के लिए हजारों एडमिशन फॉर्म बांटे गए। यह सरासर ठगी है और सरकार इसलिए खामोश है कि ये स्कूल रसूखवाले नेताओं के हैं।' 

टिप्पणीःब्लॉग चौपाल के चर्चाकार श्री राजकुमार ग्वालनी जी ने इस पोस्ट की चर्चा 30.12.2010 को की है। लिंक यहां है
अभिभावकों का दोहन यहीं खत्म नहीं हो रहा। ओबेरॉय इंटरनैशनल स्कूल ने चेक बाउंस पर दस हजार रुपये और लेट फी पर 15 प्रतिशत जुर्माने का प्रावधान किया है। सब जानने के बावजूद लोग इन स्कूलों में क्यों आते हैं? एक इंटरनैशनल स्कूल की प्रिंसिपल ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, 'तीन चौथाई बच्चे वे होते हैं, जिनको टॉप देसी स्कूलों में एडमिशन नहीं मिलता।' अच्छे स्कूल भी कम हैं और सीटें भी सीमित। इसी का फायदा उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्कूल तेजी से अमीर हो रहे मुंबईकरों को शीशे में उतार रहे हैं। 
फोरम फॉर फेयरनेस इन एजुकेशन के प्रमुख जयंत जैन का कहना है कि ' प्रोहिबिशन ऑफ कैपिटेशन फी ऐक्ट ' महाराष्ट्र में कहीं काम नहीं कर रहा। एडमिशन फॉर्म स्कूलों की कमाई का मुख्य जरिया हैं। देखा - देखी छोटे स्कूलों ने भी फॉर्म फीस 50 रुपये से बढ़ाकर दो हजार कर दी है। यह कानूनन गलत है। शिकायतों के बावजूद डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन ऑफिस इन पर कार्रवाई नहीं कर पाया। सिक्युरिटी डिपॉजिट भी अवैध है। लेकिन , सरकार जानबूझ कर आंख बंद किए बैठी है। 
इस बारे में एनबीटी ने स्कूल शिक्षा मंत्री राजेंद्र दर्डा से बात करनी चाही , लेकिन उन्होंने फिलहाल कुछ कहने से इंकार करते हुए कल ( अगले दिन ) बात करने को कहा। इंटरनैशनल स्कूलों की लूट के बाबत अभिभावकों ने मुंबई हाईकोर्ट में केस भी दायर किया है। इसकी सुनवाई 22 दिसंबर को थी , लेकिन केस हियरिंग पर नहीं आ पाया। 
बॉक्स : 
फीस का फंदा 
. एडमिशन फॉर्म - 1,000-5,500 
. 200 सीटों के लिए 2 हजार फॉर्म वितरित 
. सिक्युरिटी डिपॉजिट -50 हजार से ढाई लाख रुपये 
. चेक बाउंस - दस हजार रुपये जुर्माना 
. लेट फी -15 प्रतिशत अतिरिक्त 
. हॉबी के लिए 5-10 हजार रुपये 
बॉक्स : 
कहना है मंत्री महोदय का 
एनबीटी ने सोमवार को राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री राजेंद्र दर्डा से पूछा , ' इंटरनैशनल स्कूल हजारों रु के फॉर्म बेच रहे हैं और लाखों रु सिक्युरिटी डिपॉजिट ले रहे हैं। सरकार इन पर कार्रवाई क्यों नहीं करती ?' दर्डा का कहना था , ' आज ही मैं बाहर से लौटा हूं। कल ( अगले दिन ) बात कीजिए। ' मंगलवार को कई बार कॉल करने के बावजूद उनका फोन कनेक्ट नहीं हुआ(कंचन श्रीवास्तव,नवभारत टाइम्स,मुंबई,29.12.2010)। 

6 टिप्‍पणियां:

  1. समता का दावा करने वाले लोकतंत्र में जब तक सबके लिए समान शिक्षा उपलब्ध नहीं होगी, अमीर गरीब की खाई और भी बढते रहेगी।

    जवाब देंहटाएं
  2. अंधेर नगरी चौपट राजा … भारत में कथनी-करनी के अंतर का इससे बड़ा उदाहरण भला और क्या हो सकता है ?

    जवाब देंहटाएं
  3. शिक्षा माफ़िया का वर्चस्व हर जगह देखने को मिल रहा है...

    जवाब देंहटाएं
  4. महाराष्ट्र माझा नामक एक वेबसाईट पे Most Corrupt Indian -२०१० के लिए मतदान चल रहा है, उसमे शरद पवार साहब को सब से ज्यादा वोट्स मिल रहे है, देखते है अखिर मैं कोन जितता है, भ्रष्टाचारी तो सब है लेकिन उन सबके बाप का खिताब जनता किसे देती है येह देखना रोमांचकारी होगा.

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।