बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) में बिना स्वीकृति पद निर्मित कर उन पर नियुक्तियां तक कर देने का मामला प्रकाश में आया है। शासन ने महज 14 अलग-अलग पद स्वीकृत किए हैं,जबकि नियुक्तियां 37 पदों पर कर दी गई हैं। यानी अतिरिक्त 23 अधिकारी-कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनका वेतन भी बीयू के खजाने से निकल रहा है। इसके विपरीत शिक्षकों की कमी से जूझ रहे बीयू में उनकी भर्ती नहीं की जा रही है।
बीयू में अनुसंधान अधिकारी, प्रोग्रामर, कम्प्यूटर ऑपरेटर, क्रीड़ा अधिकारी, फुटबाल प्रशिक्षक, जिम सुपरवाइजर और ट्यूटर के नाम पर धड़ल्ले से भर्ती की गई है। एक पद पर औसतन वेतन करीब 34 हजार रुपए से अधिक का भुगतान किया जा रहा है।
इस तरह यदि विवि एक माह में 4 करोड़ रुपए का वेतन बांट रहा है तो करीब एक करोड़ रुपए का वेतन अतिरिक्त रूप से बांटना पड़ रहा है। इससे ये तो साफ है कि कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए विवि का खजाना धड़ल्ले से खाली किया जा रहा है।
मप्र शासन का उच्च शिक्षा विभाग इस पर आपत्ति ले चुका है। विभाग ने अपनी टीप में साफ लिखा है कि स्वीकृत पदों के विरुद्ध कई पद अतिरिक्त ये पद स्वीकृति से अधिक भरेगए हैं।
किसी को निजी लाभ नहीं पहुंचाया गया है। विवि की जरूरतों के हिसाब से पद भरे गए हैं।
संजय पी तिवारी,कुलसचिव,बीयू
इन पदों पर हुई बिना स्वीकृति नियुक्तियां
अनुसंधान अधिकारी
स्वीकृत पद-शून्य। फिर भी यहां अनुसंधान अधिकारी 9300-34800(+3600) रुपए के वेतनमान पर काम कर रहा है।
प्रोग्रामर
स्वीकृत पद-शून्य। फिर भी कम्प्यूटर साइंस विभाग में 9300-34800(+4200) रुपए के वेतनमान पर दो प्रोग्रामर काम कर रहे हैं।
कम्प्यूटर ऑपरेटर
स्वीकृत पद-शून्य। बावजूद इसके 5 कम्प्यूटर ऑपरेटर 9300-34800(+3600) रुपए के वेतनमान पर काम कर रहे हैं।
क्रीड़ा अधिकारी
स्वीकृत पद-शून्य। फिर भी 9300-34800(+3600) रुपए के वेतनमान पर दो क्रीड़ा अधिकारी यहां काम कर रहे हैं।
फुटबाल प्रशिक्षक
स्वीकृत पद-शून्य। बावजूद इसके एक फुटबाल अधिकारी को 9300-34800(+3600) रुपए के वेतनमान पर नियुक्त किया गया है।
जिम सुपरवाइजर
स्वीकृत पद-शून्य। वर्तमान में तीन जिम सुपरवाइजर 3050-4590 रुपए के वेतन पर शारीरिक शिक्षा विभाग में पदस्थ हैं।
ट्यूटर
ट्यूटर के नाम पर तो विवि ने धड़ल्ले से भर्ती की है। विवि में स्वीकृत पद के विरुध्द 12 ट्यूटर 9300-34800 (+3600) रुपए के वेतनमान पर।
इन सभी पदों के अलावा एक हेडकुक 5200-20200(+1900), एक मेशन 5200-20200(+1900), एक केनर 4440-7440(+1300), चार क्लीनर 4440-7440(+1300) और एक कुक 4440-7440(+1300) रुपए के वेतनमान पर नियुक्त किए गए हैं। इनमें से एक भी पद स्वीकृत नहीं है(दैनिक भास्कर,भोपाल,6.12.2010)।
क्या इस देश मे कोई संस्थान बचा भी है जिसमे घोटाले न हों? इसका पता कैसे चल सकता है? आभार?
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