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06 दिसंबर 2010

हिमाचलःअंक-पत्र में कम कर दिए 16 अंक

एचपी यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों को परिणाम संबंधी रिकॉर्ड जारी करने में खामियां सामने आने के बाद विश्वविद्यालय कार्यप्रणाली फिर सवालों के घेरे में आ गई है। विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त प्रदेश भर के कॉलेजों के लाखों छात्र रिजल्ट कार्ड में अंकों को दर्ज करने में हो रही गलतियों के बाद सकते में आ गए हैं।

टांडा कॉलेज के बीएससी द्वितीय वर्ष के छात्र प्रणव कुमार के रिजल्ट कार्ड पर दर्ज अंकों की गड़बड़ी ने विवि कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रणव के रिजल्ट कार्ड पर 16 अंकों की गलती पाई गई है। मेडिकल टेक्नोलॉजी में रेडियोलॉजी और इमेजिंग के तृतीय वर्ष के छात्र प्रणव के अनुसार प्रथम वर्ष में उसने कुल 442 अंक हासिल किए।

सेकंड ईयर पास करने पर जब 26 अक्टूबर को द्वितीय वर्ष की मार्कशीट दी गई गई तो इसमें प्रथम वर्ष के अंक 442 नहीं बल्कि 426 दर्शाए गए। यही नहीं, पिछले साल भी उसकी प्रथम वर्ष की मार्कशीट में रिअपीयर दर्शाई गई थी जबकि वह स्पष्ट तौर पर पास था। इसके बाद प्रणव को यूनिवर्सिटी आना पडा और एक माह तक यूनिवर्सिटी के चक्कर काटने पड़े।

अपनी गलती पर ही किया अभद्र व्यवहार

प्रणव के अनुसार इस बार जब मेडिकल साइंसिज विभाग में रिजल्ट को लेकर दर्ज की गई गलती को ठीक करवाने पहुंचा तो वहां के कर्मचारियों ने उससे अभद्र व्यवहार किया। प्रणव के अनुसार कर्मचारियों ने बेरुखी से कहा कि वह इस बार भी उन्हंे परेशान करने पहुंच गया है। 

उधर, सीओई एएन गुप्ता का कहना है कि उन्हें इस मामले की सूचना नहीं है। उन्होंने बताया कि इस तरह की गलतियां आने पर छात्र संबंधित कॉलेज के प्रिंसिपल के माध्यम से विवि प्रशासन को सूचित कर सकता है ताकि रिजल्ट कार्ड पर दर्ज गलतियों को ठीक किया जा सके(दैनिक भास्कर,शिमला,6.12.2010)।

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