राज्य के 16 अनुदानित आयुर्वेद महाविद्यालय अध्यापकों के अभाव में बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। इसका कारण अध्यापकों की कमी है। भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय नें दिसंबर 2010 तक राज्य के सभी अनुदानित आयुर्वेद महाविद्यालयों में अध्यापकों के शत-प्रतिशत रिक्त पद भरने के निर्देश दिए थे। राज्य के स्वास्थ्य सचिव और स्वास्थ्य मंत्री ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को राज्य के अनुदानित महाविद्यालयों में अध्यापकों के सभी रिक्त पद भरने का लिखित आश्वासन दिया था।
इस लिखित आश्वासन के बाद सत्र 2010-11 में प्रवेश के लिए 13 अनुदानित महाविद्यालयों में 80 प्रतिशत अध्यापकों का पद भर कर विद्यार्थियों का प्रवेश लिया गया, पर अष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय पुणे, वसंतदादा पाटील आयुर्वेद महाविद्यालय सांगली और श्री गुरुदेव आयुर्वेद महाविद्यालय मोजरी के 150 विद्यार्थी प्रवेश से वंचित रह गए।
जनवरी में होगा महाविद्यालयों का निरीक्षण
जनवरी 2011 में आयुष विभाग द्वारा राज्य के सभी 16 आयुर्वेद महाविद्यालयोंका निरीक्षण किया जाएगा। निरीक्षण में यदि इन महाविद्यालयों में अध्यापकों के शत-प्रतिशत पद भरे नहीं मिले तो राज्य के सभी अनुदानित आयुर्वेद महाविद्यालयों की मान्यता रद्द हो सकती है और अगले सत्र से इन महाविद्यालयों में प्रवेश पर भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद रोक लगा देगा। इसे देखते हुए राज्य के सभी आयुर्वेद महाविद्यालयों के प्राध्यापकों ने एक संघ बनाकर शिक्षकों के रिक्त पद तत्काल भरे जाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का निर्णय लिया है।
इस संघ में नागपुर के श्री महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. आर. जे. पांडेय, डॉ. सुरेन्द्र पदमवार, डॉ. अशोक गिरी, डॉ. एल. सी. जायसवाल, डॉ. विनोद देशमुख शामिल हैं। राज्य के आयुर्वेद महाविद्यालयों को बचाने के लिए संघ के शिक्षक सांसद विलास मुत्तेमवार, केन्द्रीय सामाजिक न्यायमंत्री मुकुल वासनिक और वैद्यकीय शिक्षा मंत्री डॉ. विजय कुमार गावित से मिलकर अपनी बात रखेंगे(दैनिक भास्कर,नागपुर,10.12.2010)।
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