महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के विद्यार्थियों को शीघ्र सारी सुविधाएं एक ही छत के नीचे मिलेगी। उन्हें अब फीस जमा व आवेदन प्राप्त करने तथा अन्य समस्याओं आदि के निस्तारण हेतु अनावश्यक भाग दौड़ नहीं करनी पड़ेगी। काशी विद्यापीठ की कार्य परिषद ने छात्र सुविधा केंद्र खोलने की अनुमति दे दी है। इसके अलावा इस बैठक में तीन कर्मियों का निलंबन वापस, आधा दर्जन शोधार्थियों का पंजीकरण निरस्त, 12 कॉलेजों को स्थाई मान्यता पर भी मुहर लगायी गई। कुलपति प्रो. अवधराम की अध्यक्षता में गुरुवार को कार्य परिषद की बैठक हुई। बैठक के दौरान संपूर्णानंद शोध छात्रावास को बंद कर यहां एससी/एसटी, ओबीसी कोचिंग, रेमिडल कोचिंग, यूजीसी के नेट सेट की तैयारी के लिए कोचिंग, एनएसएस, एनसीसी, छात्र कल्याण, प्राक्टर, छात्रावास सहित अन्य कार्यालय एक ही स्थान पर स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया। हालांकि इसे अस्थाई व्यवस्था बताई गई। बाद में इसके लिए एक नया भवन बनाने की भी योजना है। कार्यपरिषद ने आधा दर्जन शोधार्थियों का पंजीकरण निरस्त करने की संस्तुति की। इसमें मनोविज्ञान के पांच छात्र-छात्राएं व संस्कृत विभाग की एक छात्रा शामिल हैं। बताया जाता है कि इसमें कुछ लोगों ने अवकाश प्राप्त शिक्षकों के निर्देशन में शोध पंजीकरण कराया था तो वहीं एक छात्रा की सर्विस की वजह से पंजीकरण रद हुआ। विद्यापीठ के कर्मचारी रामदुलारे सिंह, वंशनारायण राय व पारस पांडेय नामक कर्मचारियों का निलंबन को भी परिषद ने सशर्त वापस लेने का निर्णय लिया। इसके पूर्व विद्यापरिषद की बैठक हुई। विभिन्न शैक्षिक मुद्दे को हरीझंडी दी गई। साथ ही 13 दिसंबर को आयोजित 32वें दीक्षांत समारोह में 35 को पीएचडी का उपाधि देने को स्वीकृति प्रदान की गई। 15 शिक्षकों के पद सृजन का अनुमोदन भी कार्यपरिषद ने किया।
तीन सदस्यीय कमेटी गठित : परिषद ने विद्यापीठ से संबद्ध बलवंत सिंह महाविद्यालय के विभिन्न तथ्यों की जानकारी व जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई। संकायाध्यक्ष प्रो. सत्या सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी के संयोजक क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. डीएस सिंह बनाए गए हैं। (दैनिक जागरण,वाराणसी,10.12.2010)।
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